पति ने बच्ची को अपनी संतान मानने से किया इंकार...तो पत्नी पहुंची महिला हेल्पलाइन...फिर जो हुआ

Update: 2021-02-05 14:16 GMT

बक्सर में जिला बाल कल्याण समिति द्वारा एक अहम केस की सुनवाई की गई है, जिसमें एक बेटी को उसके पिता के साथ रहने का हक दिया गया है. वो भी डीएनए (DNA) टेस्ट में आई रिपोर्ट के आधार पर. दरअसल बक्सर जिले के नवानगर प्रखंड के रूपसागर गांव के रहने वाले महेश शाह ने अपनी पहली पत्नी की मौत के बाद दूसरी शादी कोरानसराय थाना क्षेत्र के कंजिया गांव निवासी सुनैना देवी की पुत्री निशा के साथ कर ली थी.

यह शादी ब्रह्मपुर के बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर में भगवान को साक्षी मानकर 29 मई 2013 को हुई थी, शादी के डेढ़ साल के बाद पति की प्रताड़ना से तंग आकर निशा अपने मायके चली गई, इस दौरान उसने नवानगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 9 मई 2015 को एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से महेश शाह ने बच्ची को अपनी संतान मानने से इंकार कर दिया, जिसके बाद अपनी संतान और पति का साथ और उसकी संतान को पिता का स्नेह दिलवाने के लिए सुनैना देवी अपनी बेटी निशा को लेकर महिला हेल्पलाइन पहुंची.

छोटी बच्ची का मामला होने के कारण मामले को बाल कल्याण समिति में ट्रांसफर किया गया, सुनवाई के बाद समिति ने डीएनए टेस्ट कराए जाने का फैसला लिया और 5 जनवरी 2021 को डीएनए टेस्ट कराने के लिए बच्ची और उसके पिता का ब्लड नमूना जांच के लिए गुड़गांव भेजा गया, जहां से जांच के बाद डीएनए टेस्ट पॉजीटिव आई, जिससे साबित हुआ महेश ही बच्ची का पिता है. बाल कल्याण समिति के द्वारा एक माह में डीएनए टेस्ट के आधार पर फैसला किया गया, डीएनए टेस्ट के बाद बच्ची को अपने पिता के साथ रहने का हक मिल पाया. पांच साल बाद बच्ची को मिली न्याय से घर के लोग खुश हैं, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष मदन सिंह ने बताया कि बिहार में यह अपने आप में पहला मामला है, जिसमें डीएनए टेस्ट के द्वारा बच्ची को न्याय मिला है.

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