कोरोना से पति की मौत, 26 दिनों तक साये की तरह रही पत्नी, छेड़खानी का भी हुई शिकार

मानवता को शर्मशार करने वाली घटनाएं भी देखने को मिल रही हैं.

Update: 2021-05-10 11:25 GMT

कोरोना महामारी लोगों को न केवल शारीरिक, मानसिक और आर्थिक तौर पर लोगों को तोड़ रही है, बल्कि इस समय मानवता को शर्मशार करने वाली घटनाएं भी देखने को मिल रही हैं. ऐसी ही एक कहानी है रूचि और रौशन की.

न्यूज़ चैनल आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक रूचि 26 दिन तक अपने पति रौशन के लिए अस्पताल के कुप्रबंधन से लड़ती रही लेकिन फिर भी अपने पति को बचा नहीं सकी. इस दौरान अस्पताल के स्टाफ ने उससे छेड़खानी भी की. पैसे को लेकर शोषण हुआ सो अलग, इन सब बातों को याद करके रूचि का रोना नहीं रुकता. रूचि ने जो झेला वो भयावह है. उसने अपने पति की आंखों में ऑक्सीजन खत्म हो जाने का भय देखा.
पटना के इस निजी अस्पताल ने अपने यहां भर्ती मरीजो के लिए ही ब्लैक में ऑक्सीजन बेचा और रुचि ने अपने पति के जीवन को बचाने के लिये खरीदा भी, लेकिन वह अपने पति को बचा नहीं सकी.
रुचि ने डॉक्टरों और नर्सों की लापरवाही के बारे में बताया, उससे तो यही लगता है कि कोरोना से एक बार के लिए बच भी सकते हैं लेकिन हॉस्पिटल की लापरवाही से जान जाना तय है. 26 दिनों तक पति के साथ साये की तरह रही रुचि अपने पति को बचा नही पाई. रुचि अपने पति के साथ होली में परिवार वालों से मिलने भागलपुर आई थी.
9 अप्रैल को पति रौशन को सर्दी बुखार हुआ. इलाज के लिये एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया. रुचि देखभाल के लिये किसी तरह वहां मौजूद रहती थी. उसी दौरान अस्पताल के एक कर्मचारी ज्योति कुमार ने उसके साथ छेड़खानी की. जिसे बीमार पति ने भी देखा लेकिन लाचार पति कुछ न कर सका.
डॉक्टरों द्वारा ठीक से देखभाल न करने की वजह से रुचि ने अपने पति को मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया. वहां के हालात और बुरे थे. ICU में एक के बाद एक लोग मरते जा रहे थे, कोई किसी की नही सुन रहा. रुचि ने बताया कि एक आदमी, डॉक्टर-डॉक्टर चिल्लाते-चिल्लाने बेड से गिर गया, उसका माथा फट गया. चारों तरफ खून बिखर गया.
इसके बावजूद डॉक्टरों को कोई फर्क नही पड़ा. आरोप लगा कि डॉक्टर और नर्स अपने कमरे में लाइट ऑफ कर मोबाइल पर पिक्चर देखते रहते थे, लेकिन कोई मरीज को देखने नही जाता था.
रुचि की बड़ी बहन ऋचा सिंह का आरोप है कि कि अस्पताल में डॉक्टर और स्टाफ गंदी नजर से देखते थे. और बार-बार शरीर छूने की कोशिश करते थे. जब मायागंज अस्पताल में हालत खराब हुई, तो एयर एंबुलेंस से दिल्ली ले जाने की कोशिश भी की, लेकिन एयर एंबुलेंस समय पर नही मिलने के कारण, पटना के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया दिया.
आरोप है कि यहां भी गिद्ध की तरह मरीजो को लूटा गया. यहां तक कि अस्पताल ने ऑक्सिजन की कमी की बात कर अपने ही अस्पताल के ऑक्सिजन सिलेंडर को 50-50 हजार में बेचा.
रौशन और रुचि नोएडा में रहते थे. रौशन सॉफ्टवेयर इंजीनियर था, मल्टीनेशनल कम्पनी में अच्छा पैकेज पर था. लेकिन पैसा रहने के बावजूद रौशन को मौत से पहले काफी दुर्गति झेलनी पड़ी.
रुचि का आरोप है कि रौशन की मौत कोरोना से कम अस्पताल की कुव्यवस्था और ऑक्सीजन खत्म होने के भय की वजह से हुई. रुचि और रौशन पांच साल पहले ही शादी के बंधन में बंधे थे. रौशन को याद कर रुचि के आंसू नही थम रहे है. 26 दिनों तक वो अपने पति के साथ लगातार अस्पताल में ही रही लेकिन वह अपने पति को न बचा सकी. 
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