एक किसान कैसे बन गया करौली बाबा, जानिए राज?

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Update: 2023-03-24 02:18 GMT

यूपी। भक्त के साथ मारपीट के विवाद में घिरे यूपी के कानपुर स्थित करौली आश्रम के बाबा संतोष भदौरिया को कुछ साल पहले तक किसान नेता के रूप में जाना जाता था. लेकिन कुछ ही सालों में संतोष भदौरिया ने अरबों की संपत्ति अर्जित कर ली. बाबा के आश्रम में करोड़ों रुपये की गाड़ियां मौजूद हैं. वो जिस गाड़ी में सफर करते हैं, उसकी कीमत ढाई करोड़ रुपये है. आश्रम में खड़ी अन्य गाड़ियां उनकी फ्लीट का हिस्सा रहती हैं. इसमें उनके सुरक्षाकर्मी और बाउंसर चलते हैं.

गौरतलब है कि बीते दिनों करौली बाबा संतोष सिंह भदौरिया पर एक भक्त ने मारपीट का आरोप लगाया था. इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया था. इसमें देखा जा सकता है कि बाबा और पीड़ित के बीच बहस हो रही है. बताया जा रहा है कि बाबा के आश्रम में हर रोज तीन से चार हजार भक्तों की भीड़ पहुंचती है. आश्रम में भक्तों को 100 रुपये की पर्ची कटानी पड़ती है. जानकारी के अनुसार, संतोष सिंह भदौरिया उर्फ करौली बाबा तब मशहूर हुए जब कोयला निगम का चेयरमैन बनकर लाल बत्ती मिली. हालांकि, यह रुतबा कुछ ही दिन रहा. करौली बाबा पर कई आपराधिक आरोप लग चुके थे. उनके खिलाफ 1992-95 के बीच हत्या समेत कई आपराधिक मामले दर्ज हुए थे.

संतोष भदौरिया तरह-तरह के दावे करते हैं. इसी क्रम में उन्होंने प्रयागराज हत्याकांड में आरोपी अतीक अहमद के शूटर्स को ढूंढने में यूपी पुलिस की मदद करने का दावा किया था. कहा कि इसके लिए यहां आकर एक दिन अनुष्ठान करना होगा. बाबा ने यह भी कहा कि वो भारत-पाकिस्तान के रिश्ते भी सुलझा सकते हैं.

उधर, डॉक्टर के साथ मारपीट के मामले में कानपुर पुलिस बुधवार को करौली बाबा के आश्रम पहुंची थी. बताया जा रहा है कि पुलिस ने आधे घंटे तक बाबा से पूछताछ की. इस बारे में बाबा ने कहा है कि वकील के सामने ही बात करूंगा. पुलिस को सीसीटीवी में घटना के फुटेज नहीं मिले हैं. इससे पहले दोपहर में कानपुर पुलिस बाबा के बयान दर्ज करने पहुंची थी, लेकिन बाबा से मुलाकात नहीं हो पाई थी. आईटी हेड विकास भाटिया ने पुलिस को बताया कि उनके आश्रम में 250 कैमरे लगे हैं, लेकिन सिर्फ 15 दिन तक की ही रिकॉर्डिंग रहती है. घटना 1 महीने पुरानी है, इसलिए वो रिकॉर्डिंग देने में असमर्थ हैं. इसके बाद पुलिस ने उन्हें लिखित में यह बात स्पष्ट करने को कही. कानपुर पुलिस काफी देर इंतजार करने के बाद बाबा के कमरे में पहुंची और कई सवाल किए. बाबा ने बयान दर्ज कराने से मना करते हुए कहा कि वह बिना अपने वकील से बात किए कोई लिखित जवाब नहीं देंगे. इसके बाद कानपुर पुलिस ने उनसे मौखिक रूप से ही सवाल जवाब किए और घटना की जानकारी ली.

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