फेफड़ों पर क्‍या असर डाल रहा है ओमिक्रॉन वेरिएंट? जानें इस सवाल का जवाब

Update: 2021-12-30 09:20 GMT

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Omicron variant: ओमिक्रॉन की बढ़ती दहशत के बीच देश भर के एक्सपर्ट्स लोगों को जागरुक करने का काम कर रहे हैं. वो इस नए वैरिएंट के बारे में हर छोटी-छोटी जानकारियां लोगों तक पहुंचा रहे हैं ताकि लोग समय रहते सावधान हो सकें. डॉक्टर्स ओमिक्रॉन के व्यवहार पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और इस नए खतरे को लेकर ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटा रहे हैं. मेदांता अस्पताल में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर अरविंद कुमार ने AIR के साथ खास बातचीत में ओमिक्रॉन से जुड़े तमाम सवालों के जवाब दिए हैं.

ओमिक्रॉन का असर सबसे ज्यादा शरीर के इस हिस्से पर- डॉक्टर अरविंद ने कहा, 'अभी तक ये देखने में आया है कि ओमिक्रॉन की वजह से बहुत हल्की बीमारी हो रही है. इनकी वजह से फेफड़ों में पैचेज भले हो रहे हों लेकिन कोई बड़ा नुकसान नहीं हो रहा है. हालांकि, ये शुरुआती डेटा है और हमें ये देखने के लिए इंतजार करना होगा कि भारी संख्या में केसेज आने पर भी ये हल्की ही बीमारी रहने वाली है या नहीं. डेल्टा में भी शुरू-शुरू में इतने गंभीर मामले सामने नहीं आए थे लेकिन जब केसेज बढ़ गए तब इनकी गंभीरता उभर कर सामने आई.'
ओमिक्रॉन के मरीजों के ऑक्सीजन मात्रा कैसी है- डॉक्टर अरविंद का कहना है कि ओमिक्रॉन के बहुत कम मरीजों में ऑक्सीजन का सैचुरेशन लेवल कम पाया गया है. शुरू में कहा जा रहा था कि इसका बिल्कुल भी असर नहीं है लेकिन इंग्लैंड में जब पहली मौत की खबर सामने आई तो हर कोई सावधान हो गया. हमारे देश में अब तक जितने मामले आए हैं उनमें बहुत कम संख्या में ऑक्सीजन लेवल कम होने की बात सामने आई है.
ज्यादातर केसेज माइल्ड हैं जिन्हें घर पर ही मैनेज किया जा रहा है. अगर लोग अस्पताल जा भी रहे हैं तो एक-दो दिन में ठीक होकर घर वापस आ जा रहे हैं. हालांकि, ये शुरुआती समय है और अभी भी हमें इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं है. इसको माइल्ड डिजीज समझकर हल्के में लेने की गलती ना करें.
अनवैक्सीनेटेड या फिर एक डोज लगवाने वालों में स्थिति कितनी गंभीर- डॉक्टर अरविंद का कहना है कि जब हम वैक्सीन की पहली डोज लगवाते हैं तो शरीर में इम्यूनिटी बननी शुरू हो जाती है. कुछ एंटीबॉडीज बनती हैं और हमारी कुछ सेल्स एक्टिव हो जाती हैं जिसको सेल मीडिएटेड इम्यूनिटी (cell mediated immunity) भी कहते हैं. उन्होंने कहा, 'जब हम सीमित सीमा के बाद दूसरी डोज लगवाते हैं तो उससे एंडीबॉडीज का लेवल और ज्यादा बढ़ जाता है. दूसरी डोज के दो हफ्ते बाद व्यक्ति फुली वैक्सीनेटेड (fully vaccinated) माना जाता है. एक डोज लगवाने वाले लोगों का प्रोटेक्शन लेवल कहीं कम होता है, लेकिन वो उन लोगों से थोड़ा बेहतर होते हैं जिन्होंने वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगवाई है. पूरा प्रोटेक्शन दूसरी डोज के बाद ही मिलता है.'
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