आंध्र प्रदेश में 2022 में कैसे शिक्षकों ने दसवीं कक्षा के पेपर लीक होने की रची थी साजिश?

Update: 2023-02-26 06:35 GMT
अमरावती (आईएएनएस)| पिछले साल आंध्र प्रदेश में 10वीं कक्षा की परीक्षा के दौरान पेपर लीक होने से शिक्षा अधिकारियों में हड़कंप मच गया था और कुछ जिलों में लीक में कथित भूमिका के लिए 45 शिक्षकों सहित लगभग 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
कुछ निजी स्कूलों के प्रबंधन ने सरकारी स्कूलों के कुछ शिक्षकों की मिलीभगत के जरिए पेपर लीक कर अपने छात्रों को अच्छे अंक दिलाने में मदद करने की कोशिश की थी।
परीक्षा केंद्रों पर ड्यूटी पर तैनात शिक्षकों ने प्रश्नपत्रों की फोटो खीचीं और परीक्षा शुरू होने के कुछ ही मिनटों के भीतर उन्हें कुछ व्हाट्सऐप ग्रुपों में भेज दिया।
छात्रों के परिचित शिक्षकों ने परीक्षा केंद्रों के पास उत्तर लिखे और अन्य लोगों के माध्यम से अंदर के शिक्षकों को वापस भेज दिया, जिन्होंने फिर इसे छात्रों को दिखाया।
अधिकारियों ने कहा कि चूंकि बोर्ड ऑफ सेकेंडरी स्कूल सर्टिफिकेट (एसएससी) द्वारा उठाए गए पुख्ता उपायों के कारण परीक्षा से पहले पेपर लीक होना संभव नहीं है, इसलिए कुछ असामाजिक तत्वों ने ये नया तरीका खोजा है।
इससे पहले भी परीक्षा शुरू होने से पहले पेपर लीक होने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
एसएससी परीक्षा कोविड-19 महामारी के कारण दो साल के अंतराल के बाद अप्रैल-मई में आयोजित की गई थी। 6 लाख से अधिक छात्रों ने परीक्षा दी थी।
लीक की शुरूआत 27 अप्रैल को तेलुगु के प्रश्न पत्र से हुई थी। बाद में गणित और अंग्रेजी के प्रश्न पत्र भी लीक हो गए थे।
मामले में गिरफ्तार शिक्षकों में सरकारी स्कूलों के 36 शिक्षक शामिल थे। उन पर आपराधिक विश्वासघात और एपी पब्लिक एग्जामिनेशन (कदाचार और अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 1997 के तहत मामला दर्ज किया गया।
यह पहली बार था, जब इस अधिनियम के तहत शिक्षकों को गिरफ्तार किया गया।
शिक्षा मंत्री बोत्सा सत्यनारायण ने कहा, हमने इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। अगली बार हम यह सुनिश्चित करने के लिए और अधिक सावधानी बरतेंगे कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हो।
गिरफ्तारियां चित्तूर, कडप्पा और कुरनूल जिलों में की गईं। एक मामले में कुरनूल जिला पुलिस ने 9 शिक्षकों सहित 12 लोगों को गिरफ्तार किया था।
पुलिस जांच में पता चला कि 6 स्कूलों के 9 शिक्षकों ने इन स्कूलों से परीक्षा देने वाले सभी 183 छात्रों को बिना किसी परेशानी के पास कराने के लिए पेपर लीक कराने की साजिश रची थी।
अंकीरेड्डीपल्ली जिला परिषद हाई स्कूल से तेलुगु पेपर लीक करवाने में उन्होंने एक स्कूल क्लर्क और क्राफ्ट टीचर की मदद ली, जहां से अन्य स्कूल शिक्षकों को व्हाट्सऐप के जरिए पेपर लीक किया गया।
जांच के दौरान यह सामने आया कि शिक्षकों ने छह स्कूलों के परीक्षा केंद्रों पर निरीक्षकों की मदद से छात्रों को उत्तर देने में मदद करने की कोशिश की।
इस मामले ने तब राजनीतिक मोड़ ले लिया, जब पुलिस ने पूर्व मंत्री और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के नेता पी. नारायण को गिरफ्तार किया गया, जो नारायण ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के संस्थापक थे।
नारायण को चित्तूर पुलिस ने हैदराबाद में उनके आवास से हिरासत में लिया और चित्तूर शहर लाया गया।
एसएससी परीक्षा के पेपर लीक होने के मामले में चित्तूर पुलिस ने मामला दर्ज किया था। एक परीक्षा केंद्र से तेलुगु पेपर लीक होने और एक व्हाट्सऐप ग्रुप में सर्कुलेट होने के बाद मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस ने इससे पहले इसी मामले में तिरुपति में नारायण समूह के बालगंगाधर को भी गिरफ्तार किया था।
हालांकि, पुलिस द्वारा दी गई दलीलों को खारिज करने के बाद चित्तूर की एक अदालत ने नारायण को जमानत दे दी।
नारायण के वकील ने अदालत के संज्ञान में लाया कि उन्होंने 2014 में नारायण समूह के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और इस संबंध में सबूत पेश किए। उनके वकील ने मजिस्ट्रेट को बताया कि नारायण वर्तमान में नारायण ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के कामकाज में शामिल नहीं हैं। पुलिस पूर्व मंत्री को न्यायिक हिरासत में भेजने का केस बनाने में नाकाम रही।
विपक्षी टीडीपी ने नारायण की गिरफ्तारी की निंदा की थी और इसे वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) सरकार द्वारा राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया था।
टीडीपी महासचिव नारा लोकेश ने इसे 'अवैध गिरफ्तारी' करार दिया और आरोप लगाया कि वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार अपनी विफलताओं को कवर करने के लिए विपक्ष को शिकार बना रही है। उन्होंने नारायण की गिरफ्तारी के पीछे राजनीतिक प्रतिशोध का भी आरोप लगाया।
हालांकि, राज्य सरकार के सलाहकार (सार्वजनिक मामले) सज्जला रामकृष्ण रेड्डी ने कहा कि राज्य ने एक मजबूत और अभूतपूर्व संदेश दिया है कि कानून के सामने सभी समान हैं।
सज्जला ने कहा कि नारायण के खिलाफ कार्रवाई गहन जांच के बाद की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि नारायण ने नकल और अन्य कदाचार को एक संगठित अपराध में बदल दिया और 100 प्रतिशत पासिंग ग्रेड हासिल करने में रिकॉर्ड तोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर नकल और पेपर लीक को प्रोत्साहित किया।
Tags:    

Similar News

-->