दो नए-नवेले शादीशुदा जोड़ों का हनीमून खराब होने पर होटल पर लगा जुर्माना, पढ़े पूरा मामला
होटल ने कमरा बदलने से इनकार कर दिया जिसका वादा अग्रिम बुकिंग के दौरान किया गया था.
चंडीगढ़: दो नए-नवेले शादीशुदा जोड़ों का हनीमून खराब करने पर चंडीगढ़ के उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने ट्रैवल फर्म और मनाली के एक होटल पर जुर्माना लगाया है.
दंपति ने आयोग से शिकायत कर आरोप लगाया था कि उन्होंने एक अन्य जोड़े के साथ ट्रैवल टॉकीज फर्म के माध्यम से हनीमून पैकेज बुक किया था लेकिन वहां पहुंचने पर उन्हें वो सुविधाएं नहीं दी गई जिसका बुकिंग के वक्त वादा किया गया था. आरोप में आगे कहा गया है कि 15 दिसंबर, 2020 को उन्हें मनाली के होटल द हमसौर व्यू, में रहने की पेशकश की गई थी और उन्होंने बुकिंग की पुष्टि होने के बाद उसी तारीख को बुकिंग राशि यानी 10,302 रुपये का भुगतान भी कर दिया था.
शिकायत के अनुसार ट्रैवल फर्म ने उन्हें लुभाने के लिए बालकनी के दृश्य सहित होटल की कुछ तस्वीरें दिखाईं थी. उन्होंने चार लोगों के लिए दो कमरे बुक किए थे. हैरानी की बात यह है कि जब जोड़े ने चेक इन किया तो उन्हें अलग-अलग कमरे दिए गए जिनमें स्वागत सहित वादा किए गए सुविधाओं का अभाव था.
दंपति ने ट्रैवल फर्म को इसकी शिकायत की लेकिन फर्म ने उदासीन रवैया अपना लिया. होटल ने कमरा बदलने से इनकार कर दिया जिसका वादा अग्रिम बुकिंग के दौरान किया गया था.
अंत में शिकायतकर्ता ने दूसरे होटल में चेक-इन करने का फैसला किया जहां उन्होंने दो रात ठहरने के लिए 18,000 रुपये का भुगतान किया. उन्होंने होटल तक पहुंचने के लिए टैक्सी किराए पर लेने पर अतिरिक्त 95,00 रुपये खर्च किए थे.
दंपति ने बाद में उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का रुख किया, जिसने अपने आदेश में ट्रैवल फर्म और होटल मालिक दोनों को तलब किया. दोनों पक्ष आयोग के सामने पेश होने में विफल रहे.
आयोग ने पाया कि शिकायतकर्ता ने होटल की तस्वीरों के आधार पर अग्रिम भुगतान करके होटल बुकिंग की थी. आयोग ने आगे कहा कि शिकायतकर्ता की हनीमून योजनाओं में इससे खटास आ गई क्योंकि उन्हें जो वादा किया गया था वह उन्हें नहीं मिला.
इसके बाद आयोग ने अपना फैसला सुनाते हुए ट्रैवल फर्म और होटल मालिक को निर्देश दिया कि शिकायतकर्ता को 27,302 रुपये का भुगतान करें. ट्रैवल फर्म और होटल को उन्हें भुगतान किए गए पैसे वापस करने के अलावा उन्हें हुई असुविधा के लिए मुआवजा देने का आदेश दिया.
आयोग ने फैसले को लेकर कहा, "हनीमून किसी भी नवविवाहित जोड़े के जीवन में एक विशेष और भावुक क्षण होता है. इस तरह की यात्राओं की योजना पहले से बनाई जाती है ताकि किसी भी बाधा से बचा जा सके. हनीमून जीवन के लिए एक स्मृति भी है लेकिन इस मामले में जोड़ा अपने साथ हुए व्यवहार को लेकर उदास हो गए."