मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर के निजी हॉस्पिटल में एक मरीज की मौत के बाद हंगामा हो गया। मौके पर पहुंचे स्वास्थ्य विभाग और प्रशासनिक अफसरों ने हॉस्पिटल को सील कर दिया। अंदर महिला अपने नवजात बच्चे के साथ 24 घंटे तक कैद रही। महिला के पति ने स्वास्थ्य विभाग को पत्नी और नवजात के अंदर बंद होने की जानकारी दी। तब आनन-फानन में सील खोलकर अस्पताल से महिला और नवजात को बाहर निकाला गया। पूरा मामला हिमालयन मेडिकेयर अस्पताल का है।
दरअसल, बीते रविवार को गलत ऑपरेशन से लकड़संधा निवासी मरीज अंकुर की मेरठ में मौत हो गई। लापरवाही का आरोप शामली बस स्टैंड के पास स्थित हिमालयन मेडिकेयर अस्पताल के डॉक्टरों पर लगा। परिजनों का कहना था कि बेटे का लंबा इलाज हिमालयन मेडिकेयर में चला। अस्पताल के डॉक्टरों के गलत ऑपरेशन के कारण ही बेटे की जान गई है। इसके बाद युवक के परिजनों ने अस्पताल के बाहर हंगामा किया। लोगों ने आरोपी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए जाम लगा दिया। इस बीच आरोपी डॉक्टर अस्पताल में ताला लगाकर फरार हो गया। अस्पताल में भर्ती आरोपी डॉक्टर की भाभी ज्योति ने 7 दिन पहले नवजात को जन्म दिया था, उनके साथ आरोपी की बहन भी वहीं मौजूद थी, दोनों नवजात के साथ अस्पताल में बंद हो गए।
एक रिश्तेदार मौका देखकर बाहर से लगा ताला खोलकर भीतर खाने-पीने का सामान पहुंचा रहा था। इस बात की जानकारी किसी को नहीं थी। इधर,4 दिन बाद बुधवार को मरीज की मौत के मामले में डीएम के निर्देश पर कमेटी का गठन कर जांच के आदेश दिए गए। बुधवार को कमेटी में शामिल सिटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप, सीएमओ डॉ. एमएस फौजदार और सीओ सिटी हिमालयन मेडिकेयर अस्पताल पहुंचे, बिना अंदर जांच किए बाहर लगे ताले पर ही सील लगा दी और चले गए। गुरुवार देर शाम अचानक जिला प्रशासन को सूचना मिली कि जो अस्पताल सील किया गया है, उसमें जच्चा-बच्चा और एक अन्य महिला बंद है। इसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट और सीएमओ फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे और सील खुलवाकर अस्पताल की तलाशी ली। अस्पताल की पहली मंजिल पर कमरे से जच्चा-बच्चा और एक अन्य महिला मिली। जिन्हें अस्पताल से बाहर निकाला गया।
अस्पताल से बाहर निकाले गए नवजात की मां ज्योति और उनकी ननद ने 24 घंटे से सील अस्पताल के भीतर कैद रहने की दास्तां सुनाई। ज्योति ने बताया, “अस्पताल सील होने की जानकारी मुझे नहीं मिली। मुझे इतना बताया गया था कि कोई हंगामा हुआ है, जो अब शांत हो गया है। इसलिए मैं अपने बच्चे के साथ प्राइवेट रूम में थी। मंगलवार रात तक कोई समस्या नहीं थी। खाने पीने का सामान एक रिश्तेदार ऊपर ले आ रहा था। बुधवार को जब खाने-पीने के सामान की किल्लत होने लगी तो मैंने ननद को बाहर जाकर देखने को कहा। उसने देखा तो अस्पताल के गेट पर सील लगी हुई थी। मैंने अपने रिश्तेदार को फोन किया तो उसने सील को खोलने से मना कर दिया। इसके बाद मैंने पति को सूचना दी। पति बाहर रहते हैं, उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को मामले की जानकारी दी। गुरुवार शाम अस्पताल की सील खोलकर हम लोगों को बाहर निकाला गया। 24 घंटे तक मैं और मेरी ननद बिना कुछ खाए पिए रहे। खाने-पीने का सामान खत्म हो चुका था। बच्चे की दवा भी खत्म हो चुकी थी। बेटा भी रात भर भूख के मारे रोता रहा और मैं बेबस बैठी रही।
CMO बोले- जच्चा बच्चा के कमरे के बाहर लगा था ताला
सीएमओ डॉ. महावीर सिंह फौजदार ने बताया कि सीलिंग की कार्रवाई से पहले अस्पताल में सुनिश्चित कर लिया गया था कि भीतर कोई मरीज या अन्य तो नहीं है। जिस कमरे से महिला और नवजात मिले, उसमें बाहर से ताला लगा हुआ था। बताया कि महिला और नवजात को सुरक्षित बाहर निकालकर अस्पताल परिसर को फिर से सील कर दिया है।