दहलाने की साजिश! नए आतंकी संगठन नए तरीकों से आतंक फैलाने की कोशिश में जुटे, नाम है- HARKAT 313, ULF, TRF...

Update: 2021-10-18 08:00 GMT

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में एक तरफ सुरक्षा बलों द्वारा आतंक के खात्मे के लिए लगातार ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ नए आतंकी संगठन नई चुनौती की तरह सामने आए हैं. इन आतंकी संगठनों का ना सिर्फ नाम नया है, बल्कि दहशत फैलाने के इनके मंसूबे भी नए हैं.

पहले जहां कश्मीर में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के पीछे लश्कर, जैश जैसे नाम सुनाई पड़ते थे, वहीं अब हरकत 313 (HARKAT 313), यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट (United Liberation Front) और द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) के नाम सामने आ रहे हैं.
कश्मीर में आतंक की नई साजिश रच रहे पहले संगठन का नाम HARKAT 313 है. इसको लेकर जम्मू कश्मीर में अलर्ट है. यह आतंकी संगठन कश्मीर में पावर सप्लाई लाइन को निशाने पर ले सकता है. सरकारी बुनियादी ढांचे इनके निशाने पर हैं, जिसमें उरी जल विद्युत परियोजना की पावर सप्लाई लाइन इनके निशाने पर है. इसको लेकर LOC (लाइन ऑफ कंट्रोल) के पास स्थित URI-1 और Uri -2 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
कश्मीर में पिछले कुछ दिनों में दूसरे राज्य के लोगों को निशाने पर लिया जा रहा है. इसमें बिहार से वहां काम करने गए मजदूर, रेहड़ी वाले तक को नहीं छोड़ा गया. रविवार को ही बिहार के दो मजदूरों की जान ले ली गई. इससे पहले भी ऐसी घटनाएं सामने आई थीं. बिहार के मजदूरों पर हमले की जिम्मेदारी यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट (United Liberation Front) ने ली है. उसने सभी बाहरी लोगों को घाटी छोड़ने की धमकी भी दी है. इससे पहले जून के आखिर में SPO और उनके परिवार को मारने की जम्मेदारी भी इसी संगठन ने ली थी.
वहीं तीसरे नए आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) के निशाने पर जम्मू कश्मीर के सरपंच, स्थानीय नेता हैं. इसमें लश्कर ए तयैबा उसका साथ दे रहा है. TRF का नाम साल 2020 से चर्चा में है. तब इस संगठन ने बीजेपी कार्यकर्ता फिदा हुसैन, उमर राशिद बेग और उमर हाजम की कुलगाम में हत्या कर दी थी. कश्मीर में अन्य बीजेपी नेताओं की हत्या के पीछे यही संगठन रहा है.
जानकारी के मुताबिक, यह संगठन जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद ही बनाया गया है. TRF मुख्य तौर पर लश्कर आदि संगठनों के लिए कवर की तरह काम करता है. जिससे भारत में हमले में पाकिस्तान का नाम सीधे तौर पर ना आ पाए, जिससे वह FATF आदि द्वारा ब्लैकलिस्ट होने से बच सके.


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