HMPV virus: चीन से अब भारत पहुंचा HMPV वायरस, 2 केस मिलने से हड़कंप, केंद्र सरकार अलर्ट मोड पर

कई राज्यों में अलर्ट.

Update: 2025-01-06 07:41 GMT
HMPV virus: कोविड-19 महामारी से दुनियाभर में लंबा लॉकडाउन लगा रहा और लाखों लोगों की मौत भी हुई. लगभग 4 साल बाद इस महामारी से उबरने के बाद चैन की सांस ली ही थी कि अब एक और वायरस ने दुनियाभर में चिंताएं बढ़ा दी हैं. दरअसल, रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन घातक कोविड-19 महामारी के प्रकोप के चार साल बाद एक और महामारी से जूझ रहा है. इस महामारी का कारण एक वायरस है जिसका नाम है, ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV).
इस वायरस के कारण कई देश इसके प्रसार पर निगरानी रख रहे हैं. दुनिया के साथ भारत ने भी इस पर निगरानी रखनी शुरू कर दी गई है. अब बेंगलुरु के अस्पताल में आठ महीने की बच्ची में HMPV वायरस डिटेक्ट किया गया है. हेल्थ डिपार्टमेंट का कहना है, 'हमने हमारी लैब में इसका टेस्ट नहीं किया है. यह रिपोर्ट एक प्राइवेट हॉस्पिटल की है.'
हेल्थ एक्सपर्ट्स ने HMPV पर चिंता जताई है जो एक रेस्पिरेट्री (श्वसन) वायरस है जो कई एशियाई देशों को प्रभावित कर रहा है. रॉयटर्स में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक, 'हाल ही में पाए गए मामलों में राइनोवायरस और मानव मेटान्यूमोवायरस जैसे रोगाणु (pathogens) शामिल हैं. विशेष रूप से चीन के उत्तरी प्रांतों में 14 वर्ष से कम आयु के लोगों में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है.'
हालांकि, इस संक्रमण में वृद्धि की जांच की जा रही है क्योंकि अभी सर्दियों का मौसम चल रहा है और यह संक्रमण सर्दियों के मौसम में फैलने वाली सामान्य यानी श्वसन बीमारियों (सर्दी, खांसी, जुकाम) जैसा ही है. रिपोर्ट के अनुसार, HMPV इन्फ्लूएंजा ए, माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया और कोविड-19 जैसे कई वायरस के साथ मिलकर तेजी से फैल सकता है.
ऐसे में सभी के लिए यह जानना काफी जरूरी हो जाता है कि आखिर यह वायरस क्या है, इसके लक्षण क्या हैं और इस बारे में एक्सपर्ट का क्या कहना है. तो आइए विस्तार से जानते हैं.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कर्नाटक में HMPV के दो मामलों का पता लगाया है. इसके अलावा, ICMR और इंटीग्रेटेड डिसीज सर्विलेंस प्रोग्राम (IDSP) नेटवर्क के वर्तमान आंकड़ों के आधार पर, देश में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (ILI) या गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी (SARI) के मामलों में कोई असामान्य उछाल नहीं आया है.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, कर्नाटक के प्रिंसिपल सेकेट्री और हेल्थ कमिश्नर हर्ष गुप्ता (आईएएस) का कहना है, 'बच्चे में HMPV का पाया जाना कोई असामान्य बात नहीं है. पहले भी हमने कई मरीजों में HMPV से जुड़े मामले देखे हैं. इसमें चिंताजनक कुछ भी नहीं है, इसलिए किसी को भी घबराने की जरूरत नहीं है. अगर HMPV का कोई नया स्ट्रेन है तो आईसीएमआर को हमें निर्देश या अपडेट गाइडलाइन भेजनी चाहिए. अभी तक इसके लिए कोई खास प्रोटोकॉल जारी नहीं किया गया है. बच्चे की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है. अभी तक इस वायरस को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है.'
तेलंगाना में राज्य सरकार ने 'क्या करें और क्या न करें', इसकी लिस्ट जारी की है जिसमें नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोना या अल्कोहल-आधारित सैनिटाइज़र का उपयोग करना, भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचना और अन्य सावधानियों के अलावा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना शामिल है.
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा, 'राज्य सरकार चीन में वायरल बुखार और श्वसन संक्रमण के बड़े पैमाने पर फैलने के बारे में न्यूज रिपोर्ट्स पर बारीकी से नजर रख रही है और अभी कोई घबराने की जरूरत नहीं है.'
US सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) 2001 में खोजा गया था. यह HMPV न्यूमोविरिडे फैमिली से संबंधित है जो एक रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (RSV) की ही फैमिली है. यह आमतौर पर ऊपरी और निचले श्वसन संक्रमण का कारण बनता है जो सामान्य सर्दी या फ्लू के समान लक्षण पैदा करता है. हालांकि एक्सपर्ट का कहना ये भी है कि कुछ सीरोलॉजिकल सबूत बताते हैं कि यह वायरस कम से कम 1958 से दुनिया में फैला हुआ है.
CDC के अनुसार, यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है जिसमें छोटे बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग इसके संक्रमण के सबसे अधिक खतरे में होते हैं.
सीडीसी के अनुसार, HMPV खांसने या छींकने से निकलने वाले ड्रापलेट्स, हाथ मिलाने, किसी को स्पर्श करने, नजदीकी संपर्क में आने, दूषित सतहों पर हाथ लगाने, मुंह, नाक या आंखों को छूने से फैलता है.
CDC के अनुसार, खांसी और बहती हुई नाक, बुखार, गले में खराश, गले में जलन या कुछ मामलों में सांस लेने में कठिनाई ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के सामान्य लक्षण हैं. कुछ मामलों में संक्रमण ब्रोंकाइटिस, निमोनिया या अस्थमा के लक्षणों में भी तब्दील हो सकता है.
मैक्स हेल्थकेयर के मुताबिक, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, शिशु, वृद्ध और विशेषकर 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग, कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग, अस्थमा या सीओपीडी जैसी श्वसन समस्याओं वाले व्यक्तियों को इसका अधिक जोखिम है.
प्रेग्नेंसी के दौरान एचएमपीवी के कारण श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं जो मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकती हैं.
चीन में अधिकांश संक्रमण 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में हुआ, जिनमें से कई मामलों में उनकी गंभीरता के कारण अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ी. इन लक्षणों में लगातार खांसी और बुखार से लेकर ब्रोंकियोलाइटिस और निमोनिया जैसी अधिक गंभीर स्थितियां शामिल थीं. अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों से इसकी समानता के कारण इसकी पहचान और इलाज मुश्किल हो सकता है.
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) से कैसे बच सकते हैं?
रिपोर्ट बताती हैं कि इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए चीन में स्वास्थ्य अधिकारियों ने हाथ धोने, मास्क पहनने और समय पर जांच जैसे निवारक उपायों पर जोर दिया. HMPV को रोकने के लिए अभी कोई स्पेसिफिक वैक्सीन नहीं है इसलिए संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए इन उपायों को अपना सकते हैं.
- अपने हाथों को साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक धोएं.
- साबुन और पानी उपलब्ध न हो तो अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें.
- ऐसे व्यक्तियों से दूर रहें जिनमें श्वसन संबंधी बीमारी के लक्षण दिखें.
- बार-बार छूई जाने वाली सतहों, जैसे कि दरवाजे के हैंडल, फोन और काउंटरटॉप्स को साफ करते रहें.
- संक्रमण फैलने वाले या फ्लू के मौसम के दौरान मास्क पहनने से श्वसन बूंदों के संपर्क को कम करने में मदद मिल सकती है.
- यदि आपमें कोई लक्षण हों तो टेस्ट कराएं और डॉक्टर से संपर्क करें.
COVID-19 और HMPV में कितनी समानता है?
कोरोनावायरस डिसीज या COVID-19 एक संक्रामक रोग है जो SARS-CoV-2 वायरस के कारण होता है. HMPV वायरस और SARS-CoV-2 वायरस कुछ मायनों में समान हैं. जैसे, HMPV भी सभी उम्र के लोगों में श्वसन संबंधी बीमारी का कारण बनते हैं और कोरोनावायरस भी इसी तरह से फैलता था. ये दोनों वायरस छोटे बच्चों, वृद्धों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को अधित तेजी से संक्रमित कर सकते हैं.
COVID-19 और HMPV के लक्षण भी लगभग समान हैं. HMPV से जुड़े आम लक्षणों में खांसी, बुखार, नाक बंद होना और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं जो कोविड-19 से संक्रमित लोगों के लक्षण भी थे.
COVID-19 और HMPV दोनों वायरस संक्रमित व्यक्ति से खांसने और छींकने से निकलने वाले ड्रापलेट्स, नजदीकी संपर्क में आने या संक्रमित व्यक्ति द्वारा छूई हुई सतह को स्पर्श करने से फैलते हैं.
अमेरिकी सीडीसी के मुताबिक, कोविड-19 तापमान से प्रभावित होने की वजह से सीजनल था. उसी तरह एमपीवी भी अलग-अलग मौसम में फैल रहा है. हालांकि, एचएमपीवी के मामले पूरे साल देखने को मिल सकते हैं लेकिन अमेरिका में सर्दी से लेकर बसंत के मौसम में इसके केस पीक पर पर होते हैं.
भारत के लिए कितना खतरा?
नेशनल सेंट्रल फॉर डिसीज कंट्रोल के डायरेक्टर डॉ. अतुल गोयल (Dr. Atul Goel) ने चीन में HMPV को लेकर हो रही चिंताओं के बीच भारत पर जोखिम के बारे में बात करते हुए कहा कि मौजूदा स्थिति को लेकर घबराने की कोई बात नहीं है. बस लोगों को सामान्य सावधानी बरतने की जरूरत है.
डॉ. अतुल ने आगे कहा, 'हमने देश के भीतर श्वसन संबंधी बीमारियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है. 2024 के आंकड़ों में ऐसी कोई बड़ी वृद्धि नहीं है. सर्दियों के दौरान श्वसन संक्रमण के मामले अधिक आते हैं और हमारे अस्पताल आवश्यक जरूरतों और बिस्तरों के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.'
'मैं जनता से सामान्य सावधानी बरतने का अनुरोध करना चाहता हूं, जिसका अर्थ है कि जिन लोगों को खांसी और जुकाम है, उन्हें इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए अन्य लोगों के संपर्क में आने से बचना चाहिए और सर्दी और बुखार के लिए निर्धारित सामान्य दवाएं लेनी चाहिए. वर्तमान स्थिति को लेकर चिंतित होने की कोई बात नहीं है.'
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