इतिहास बना मौत का कुआं, 13 महिलाओं की ले ली जान

Update: 2022-02-19 05:38 GMT

यूपी। कुशीनगर (Kushinagar) के स्कूल टोले पर शादी के मांगलिक कार्यक्रम मटकोर (Matkor) में जुटी महिलाओं के साथ बड़ी दुर्घटना हो गई जिसमें 13 लोग मौत की नींद सो गए. कुशीनगर के स्कूल टोले पर उस कुएं को मिट्टी से पाट दिया गया जिस कुएं में 22 लोगों के गिरने के बाद 13 लोगों की मौत हो गई. मरने वाले 13 लोगों में पूजा यादव, शशि कला चौरसिया, पूजा चौरसिया ,ज्योति चौरसिया, मीरा विश्वकर्मा, ममता चौरसिया ,शकुंतला, प्रियांशी उर्फ परी चौरसिया, राधिका कुशवाहा, सुंदरी कुशवाहा ,वृंदा ,मनू और आरती है. इन लोगों की मृत्यु बुधवार की रात कुएं में गिरने से हुई.

कुआं लोगों की प्यास बुझाने के लिए खुदवाया जाता है, इसके मालिक को क्या पता कि 13 लोग इस कुएं में गिरकर मौत को गले लगा लेंगे. कुएं की कल्पना करने वाले को क्या पता था कि एक दिन यह कुआं मौत का कुआं बन जाएगा. शादी की रस्म मटकोर पूरा करने के लिए मांगलिक कार्यक्रम में कुएँ की भी पूजा की जाती है. नौरंगिया के स्कूल टोला निवासी परमेश्वर कुशवाहा के यहां गुरुवार को शादी थी, जिसके लिए गांव की औरतें और घर की महिलाएं शादी की रस्म मटकोर के लिए देर शाम गांव के पास पूजा अर्चना करने के बाद गीत संगीत कार्यक्रम करने लगीं जिसे देखने के लिए गांव की ही महिलाएं और बच्चियां इकट्ठा हो गईं. सड़क से सटा कुआं जो सीमेंट के बने स्लैब से ढका हुआ था. भीड़ अधिक होने से स्लैब कमजोर पड़ गया. स्लैब टूटने से कुएं में 22 लोग गिरे जिनमें 13 की मौत हो गई.

कुएं के मालिक ने और गांव के अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने प्रशासन के साथ मिलकर इस कुएं का इतिहास हमेशा हमेशा के लिए बंद कर दिया. ग्रामीणों और प्रशासन की मदद से इस कुएं में मिट्टी डालकर हमेशा के लिए बंद कर दिया गया. 13 लोगों की मौत के बाद यह कुआं गांव के लिए इतिहास बन गया. बुधवार की रात नेबुआ नौरंगिया स्कूल टोल पर काली रात की तरह बीती. गांव के हर तीसरे चौथे घर पर एक लाश रखी हुई थी और घर से महिलाओं की चीत्‍कार गांव के सन्नाटे को चीर रही थी. गांव में इतनी बड़ी घटना होने के वजह से किसी के घर चूल्हा नहीं जला और गांव के हर व्यक्ति के चेहरे पर उदासी देखने को मिल रही थी. 13 लोगों की मौत ग्रामीणों पर इतनी भारी गुजर रही थी कि हर आंखें नम थी और चेहरे उदास ,लोग भारी मन से एक दूसरे का चेहरा देख रहे थे और उस कठिन समय को एक दूसरे के लिए ढाढस बढ़ाते हुए दिख रहे थे.


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