पर्यटकों के लिए खुली नेलोंग घाटी में ऐतिहासिक गरतांग गली, अब एक बार में जा सकेंगे 10 पर्यटक

भारत-चीन सीमा (India-China border) के पास उत्तराखंड (Uttarakhand) में उत्तरकाशी (Uttarkashi) जिले के नेलोंग घाटी में स्थित ऐतिहासिक गरतांग गली की सीढ़ियों का देश दुनिया के पर्यटक दीदार करने लगे हैं.

Update: 2021-08-20 11:01 GMT

भारत-चीन सीमा (India-China border) के पास उत्तराखंड (Uttarakhand) में उत्तरकाशी (Uttarkashi) जिले के नेलोंग घाटी में स्थित ऐतिहासिक गरतांग गली की सीढ़ियों का देश दुनिया के पर्यटक दीदार करने लगे हैं. गरतांग गली की लगभग 150 मीटर लंबी सीढ़ियां अब नए रंग में नजर आने लगी हैं. 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित 150 साल से अधिक पुराने गरतांग गली लकड़ी के पुल को 59 साल बाद बुधवार को नवीनीकरण के बाद पर्यटकों के लिए फिर से खोल दिया गया. कोरोना गाइडलाइन और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक बार में 10 ही लोगों को पुल पर भेजा जा रहा है.

दरअसल, तिब्बत के लिए एक प्राचीन व्यापार मार्ग पर गरतांग गली पुल पेशावर से आए पठानों ने 150 साल पहले इस पुल का निर्माण किया था. आजादी से पहले तिब्बत के साथ व्यापार के लिए उत्तरकाशी में नेलांग वैली होते हुए तिब्बत ट्रैक बनाया गया था. यह सालों से क्षतिग्रस्त हो गया था और 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद इस लकड़ी के सीढ़ीनुमा पुल को बंद कर दिया गया था. जब इसे ऑफ-लिमिट घोषित किया गया था. यह ट्रैक भैरोंघाटी के नजदीक खड़ी चट्टान वाले हिस्से में लोहे की रॉड गाड़कर और उसके ऊपर लकड़ी बिछाकर तैयार किया था. इस रास्ते से ऊन, चमड़े से बने कपड़े और नमक लेकर तिब्बत से उत्तरकाशी के बाड़ाहाट पहुंचाए जाते थे. इस पुल से नेलांग घाटी का रोमांचक नजारा दिखाई देता है.



 


पर्यटकों को कोरोना गाइडलाइन का करना होगा पालन- डीएम
उत्तरकाशी के डीएम मयूर दीक्षित ने बुधवार को इस संबंध में आदेश जारी करते हुए कहा कि पुल का जीर्णोद्धार लोक निर्माण विभाग द्वारा 65 लाख रुपए की लागत से किया गया है. गरतांग गली पुल पर जाने के इच्छुक लोगों को भैरव घाटी चौकी पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा और सभी कोविड गाइडलाइन के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा. दीक्षित ने कहा कि पुल की मरम्मत और नवीनीकरण पिछले साल सितंबर में शुरू किया गया था और इस साल जुलाई में पूरा हुआ है. इस पुल को इतनी ऊंचाई पर दोबारा बनाना बहुत चुनौतीपूर्ण था.
सुरक्षा की दृष्टि से एक बार में 10 लोगों को दी जाएगी परमिशन
डीएम ने कहा कि ये पुल गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान के अंदर स्थित है और उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 90 किमी की दूरी पर है. यह पुल 136 मीटर लंबा और 1.8 मीटर चौड़ा है. वहीं, सुरक्षा के मद्देनजर एक बार में केवल दस लोगों को ही अनुमति दी जाएगी और उन्हें एक दूसरे से एक मीटर की दूरी बनाए रखनी होगी. पुल पर समूहों की आवाजाही या कोई अन्य गतिविधि, जैसे कूदना, नाचना, शराब पीना या ज्वलनशील पदार्थ ले जाना प्रतिबंधित है.
पुल का ऐतिहासिक और सामरिक महत्व
प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि साहसिक पर्यटन की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए गरतांग गली की सीढियों का पुनर्निर्माण कार्य किया गया. इस पुल का ऐतिहासिक और सामरिक महत्व है. सरकार की ओर से इस पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया है और इससे जुड़े सभी आयामों को विकसित किया जा रहा है. यह प्राचीन काल से अपने पड़ोसियों के साथ देश के सौहार्दपूर्ण व्यापार संबंधों को प्रदर्शित करता है.
ट्रैकिंग के शौकीनों का रहा आकर्षक केंद्र
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि ऐतिहासिक धरोहर संरक्षण के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. इसके तहत नेलांग घाटी में स्थित ऐतिहासिक गरतांग गली की सीढ़ियों का 65 लाख रुपए की लागत से पुनर्निर्माण कार्य पूरा करने के बाद पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है. गरतांग गली के खुलने के बाद स्थानीय लोगों और साहसिक पर्यटन से जुड़े लोगों को फायदा मिल रहा है. ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए यह एक मुख्य आकर्षक केंद्र बन रहा है.
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