ह‍िजाब मामला: हिजाब इस्लाम की जरूरी धार्मिक प्रथा नहीं- ये है अदालत में दी गईं ये 8 बड़ी दलीलें

कर्नाटक (Karnataka) में हिजाब (Hijab) को लेकर विवाद बढ़ा हुआ है

Update: 2022-02-18 13:00 GMT

कर्नाटक (Karnataka) में हिजाब (Hijab) को लेकर विवाद बढ़ा हुआ है. उडुपी में स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल कॉलेज को 10 दिन बंद रखने के बाद शुक्रवार को फिर से खोल दिया गया. पिछले सप्ताह इस कॉलेज में हिजाब और भगवा शॉल को लेकर छात्र समूहों में नोकझोंक हुई थी और नारेबाजी की गई थी. मुस्लिम छात्राओं का दावा था कि वे तब से हिजाब पहन रही हैं जब से उन्होंने कॉलेज में प्रवेश लिया है. वहीं, लड़कों का कहना था कि यदि लड़कियों को हिजाब पहनकर आने की अनुमति दी जाती है तो वे भी भगवा शॉल पहनकर आएंगे. हिजाब को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) में सुनवाई चल रही है. सरकार कह रही है कि हिजाब इस्लाम की आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है. इन 8 प्वॉइंट के जरिए जानिए हाईकोर्ट में क्या-क्या दलीलें दी गई हैं…

कर्नाटक सरकार ने शुक्रवार को हाईकोर्ट के सामने कहा कि हिजाब इस्लाम की आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है और इसका इस्तेमाल रोकने पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन नहीं होता. दरअसल, अनुच्छेद 25 धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है.
कुछ मुस्लिम लड़कियों ने आरोप लगाया था कि कर्नाटक सरकार द्वारा हिजाब या भगवा स्कार्फ पहनने पर रोक लगाने के पांच फरवरी के आदेश से संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन होता है. कर्नाटक के महाधिवक्ता (एजी) प्रभुलिंग नवदगी ने इस आरोप का भी खंडन किया.
अनुच्छेद 25 भारत के नागरिकों को अंतःकरण की और धर्म की अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है. नवदगी ने दलील दी कि सरकार के आदेश से संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन नहीं होता.
यह अनुच्छेद भारतीय नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है. महाधिवक्ता ने यह भी कहा कि राज्य सरकार का पांच फरवरी का आदेश कानून सम्मत है और उसमें आपत्ति करने जैसी कोई चीज नहीं है.
हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ लड़ रही मुस्लिम लड़कियों ने गुरुवार को हाईकोर्ट से अपील की कि उन्हें कम से कम शुक्रवार और रमजान के महीने में हिजाब पहनकर कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दी जाए. उन्होंने दावा किया कि हिजाब पर प्रतिबंध पवित्र कुरान पर प्रतिबंध लगाने के बराबर है.
हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में हिजाब विवाद से संबंधित सभी याचिकाओं पर विचार लंबित रखते हुए पिछले सप्ताह सभी विद्यार्थियों को कक्षा के भीतर भगवा शॉल, स्कार्फ, हिजाब पहनने और कोई भी धार्मिक ध्वज लाने से रोक दिया था.
न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति जे. एम. काजी और न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित की हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ के समक्ष मुस्लिम लड़कियों की ओर से पेश हुए वकील विनोद कुलकर्णी ने कहा, 'गरीब मुस्लिम लड़कियां हिजाब पहनने पर प्रतिबंध के कारण पीड़ित हैं.'
कुलकर्णी ने दलील दी कि हिजाब मुद्दे के कारण देश में एक 'सामूहिक उन्माद' है. हिजाब 'स्वास्थ्य या नैतिकता के खिलाफ नहीं है.'


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