जेल में बंद कैदियों के हौसले बुलंद, खुद की रिहाई के लिए बनाए जमानत के फर्जी कागज, पुलिस ने ऐसे पकड़ा

आरोपियों के हौसले बुलंद

Update: 2021-02-04 01:23 GMT

फाइल फोटो 

महाराष्ट्र के औरगांबाद शहर के हरसुल जेल में बंद तीन कैदियों ने दो कैदियों की जमानत के लिए अदालत के फर्जी जमानत पत्र बनावाए और बाद में एक कैदी के हाथों जेल के पोस्ट बॉक्स में डाल दिए. लेकिन उनकी इस साजिश का पुलिस ने भंडाफोड़ कर दिया. हरसुल जेल सुपरिटेंडेंट जयंत नाइक ने बताया कि कैसे अंडरट्रायल कैदियों के फर्जी जमानत पर खुद की रिहाई करवाने का प्लान फ्लॉप हो गया.

सुपरिटेंडेंट जयंत नाइक ने बताया कि सबसे पहले 25 जनवरी की शाम जब जेल का पोस्ट बॉक्स खोला गया तो उन्हें जमानत पर रिहाई वाले कागजात बॉक्स में मिले. डॉकेट खोलने पर भोसले नामक अंडरट्रायल कैदी के रिहाई के कागजात थे. अंतिरम जमानत के कागज़ात पढ़ने पर जेल अधिकारियों को शक हुआ कि मकोका के कैदियों की जमानत अदालत ने कैसी मंजूर कर ली? अंतिरम जमानत के कागजात हूबहू असली जमानत की ऑर्डर की तरह बनाए गए थे.
पेपर में लिखा गया था कि जमानत बीड जिले की अदालत से हासिल हुई है. 27 जनवरी के दिन अदालत से पूछताछ करने पर समझ आया कि बीड की अदालत द्वारा भोसले कैदी की जमानत के आदेश नहीं दिए गए हैं. शक यकीन में तब्दील होने के बाद जेल सुपरिटेंडेंट जयंत नाइक ने जमानत के पेपर दोबारा खंगाले तो देखा के पेपर पर लगा हुआ स्टाम्प कागजी था. यानी किसी और के जमानत पेपर का स्टाम्प कैंची से काट कर इस पेपर पर चिपकाया गया था.
इस साजिश का भांडाफोड़ करने के लिए ये फर्जी जमानत के पेपर्स को तय व्यक्ति तक जाने दिया गया. इसलिए बोगस जमानत का राज सिर्फ जेल अधिकारियों के बीच ही रखा गया. 27 जनवरी की शाम एक और अंतिरम जमानत का डॉकेट जेल पोस्ट बॉक्स से बरामद हुआ. इस बार जमानत पेपर पर मकोका अंडरट्रायल शेख का नाम था. पेपर्स हूबहू पहले वाले पपेर्स की तरह थे और जमानत का स्टाम्प, हस्ताक्षर भी एक जैसे ही थे. इस बार जेल अधिकारियों ने तुरंत बीड जिला अदालत से जमानत के पेपर्स बोगस होने की बात लिखित रूप से मंगवाई. जेल से जमानत का डॉकेट किसके हाथों से जेल से पोस्ट बॉक्स तक पहुंच रहा था, यह अभी भी रहस्य था.
27 जनवरी से जेल से अदालत और औरंगाबाद सिविल अस्पताल जाने वाले हर एक कैदी पर नजर रखी जाने लगी. साथ में जेल के बाहर पोस्ट बॉक्स के पास भी जेल अधिकारी सिविल ड्रेस में तैनात किये गए कि आखिकार कौन है वो जो बोगस जमानत के पेपर बाहर ले जा रहा है. पुलिस की सतर्कता के बीच चार दिन तक किसी ने भी जमानत के पेपर्स पोस्ट बॉक्स में नहीं डाले. फिर एक फरवरी को जेल से अस्पताल जाने वाले कैदियों पर नजर रखी गयी. सरकारी अस्पताल जाने वाले पोक्सो अंडरट्रायल कैदी पारधे की तलाशी लेने पर उसके बेल्ट से पेपर्स का एक एनवेलप बरामद किया गया. जेल अधिकारी तब चौक गए जब उन्होंने देखा कि जमानत के पेपर्स पर फिर एक बार अंडरट्रायल कैदी शेख का ही नाम है .
जेल में बंद आरोपियों ने ही कबूल किया है कि उन्होंने फर्जी अदालत के जमानत वाले पेपर पोस्ट बॉक्स में डाले थे. तीनों आरोपियों की उम्र 25 से 30 साल के बीच है. तीन में से दो आरोपियों पर मकोका के तहत मामला दर्ज है. हरसुल पुलिस स्टेशन में तीन आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है. पुलिस थाने के पुलिस इंस्पेक्टर इंगोले ने बताया कि जेल में बंद कैदियों को चार्जशीट के पेपर अपने पास रखने होते हैं. इसी दौरान इनमें से एक आरोपी ने चार्जशीट में मौजूद अदालत के सील वाले पेपर को काट कर अपनी जमानत पेपरों में लगा दिया और अस्पताल का बहाना करके एक आरोपी ने फर्जी अदालत के जमानत पेपर को जेल के बाहर लगे पोस्ट में डाल दिया.
हरसुल जेल में कैदियों की संख्या तक़रीबन 1200 है. जेल से बोगस जमानत के पेपर्स पर रिहा होने का प्लान बनाने वाले ये कैदी लॉकडाउन के दौरान ही बीड जेल से हरसुल जेल भेजे गए हैं. जेल सुप्रीटेंडेंट जयंत नाइक ने आजतक को बताया कि कोरोना वायरस महामारी के दस महीनों में एक जेल से तकरीबन 800 कैदियों को परोल पर रिहा किया गया है. उन्होंने कहा कि हो सकता है कि अन्य कैदियों को परोल पर रिहा होते देख मकोका अंडरट्रायल कैदी भोसले और शेख ने जेल से बाहर निकलने का प्लान बनाया हो.


Tags:    

Similar News

-->