हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी, शादी का मतलब क्रूरता का लाइसेंस मिलना नहीं, पुरुष को नहीं मिलते हैं विशेषाधिकार

Update: 2022-03-24 03:07 GMT

बेंगलुरू: पत्नी से रेप के मामले (Marital Rape) में कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने बड़ी टिप्पणी की है. बुधवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि शादी का मतलब यह नहीं है कि पति को पत्नी के साथ क्रूरता का लाइसेंस मिल गया हो. इस दौरान हाईकोर्ट ने मैरिटल रेप के बढ़ते मामलों पर नाराजगी जाहिर की.

कोर्ट ने कहा कि शादी समाज में किसी भी पुरुष को विशेषाधिकार नहीं देती हैं और न ही इस तरह के अधिकार दे सकती है कि वह एक महिला के साथ जानवरों की तरह क्रूर व्यवहार करे. कोर्ट ने कहा कि अगर एक पुरुष किसी भी महिला के साथ बिना उसकी मर्जी के संबंध बनाता है तो वह आदमी दंडनीय है और तो दंडनीय ही होना चाहिए भले ही यह आदमी एक पति हो.
कोर्ट ने कहा कि जब कोई पति अपनी पत्नी के साथ जबरन यौन संबंध बनाता है तो इससे महिला पर बुरा प्रभाव पड़ता है. कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले महिलाओं को अंदर से डरा देते हैं, जिससे उनके मन और शरीर दोनों पर प्रभाव पड़ता है. कोर्ट ने कहा कि पति की ओर से पत्‍नी पर उसकी सहमति के बिना यौन हमले को रेप की तरह ही लिया जाना चाहिए.
बिना पत्नी की इजाजत के पति द्वारा जबरन यौन संबंध बनाने को मैरिटल रेप कहा जाता है. बिना सहमति के संबंध बनाने की वजह से ही इसे मैरिटल रेप की श्रेणी में रखा जाता है. मैरिटल रेप को पत्नी के खिलाफ एक तरह की घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न माना जाता है.

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