हाईकोर्ट का सरकार से सवाल- JPSC एग्जाम में गड़बड़ी कैसे हुई? छह जनवरी को होगी सुनवाई
रांची: झारखंड में 7वें से 10वें JPSC एग्जाम में धांधली को लेकर अब तक सड़क से लेकर विधानसभा तक हंगामा जारी है. इसी बीच हाईकोर्ट में भी कैंडिडेट की ओर से गुहार लगाई है. जिसके बाद हाईकोर्ट ने झारखंड लोक सेवा आयोग से एग्जाम रिजल्ट में गड़बड़ी को लेकर सवाल किया है. हाईकोर्ट ने पूछा है कि ये गड़बड़ी कैसे हुई, इस बारे में बताया जाए. हालांकि, आयोग का कहना है कि कैंडिडेट झूठ बोल रहे हैं और कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. इस मामले में अब 6 जनवरी को अगली सुनवाई होगी.
झारखंड में 252 सीट के लिए आयोजित की गई 7वीं से 10वीं जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के प्रीलिम्स के रिजल्ट घोषित होने के बाद से ही उम्मीदवार आरोप लगा रहे थे कि एग्जाम में गड़बड़ी हुई है. 33 उम्मीदवार जो एग्जाम में एक के पीछे एक ही बैठे थे, उन्हें पास कर दिया गया था. वहीं, आयोग को 57 कैंडिडेट की ओएमआर शीट नहीं मिल रही थी, इसलिए उन्हें फेल कर दिया गया था.
इसके बाद सड़क पर कैंडिडेट आंदोलन तो कर ही रहे थे, विधानसभा में भी बवाल हो रहा था. इसी बीच हाईकोर्ट में भी कैंडिडेट पहुंचे और आयोग के अध्यक्ष को हटाने की मांग की. साथ ही इस गड़बड़ी की सीबीआई जांच और प्रीलिम्स के रिजल्ट को रद्द करने की भी गुहार लगाई गई. कैंडिडेट का आरोप है कि उन्हें कट ऑफ से भी ज्यादा मार्क्स मिले थे, उसके बावजूद उन्हें प्रीलिम्स की परीक्षा में फेल कर दिया गया.
कैंडिडेट ने मुख्य परीक्षा बैठने की इजाजत मांगी थी, जिसे हाईकोर्ट ने अभी मानने से मना कर दिया. हालांकि, कोर्ट ने आयोग से गड़बड़ी कैसे हुई, इसे लेकर सवाल जरूर किया.
मामले की गंभीरता को देखते हुए. झारखंड लोक सेवा आयोग को शपथ पत्र के माध्यम से लिखित जवाब अदालत में पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी. झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश दीपक रोशन की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि 7वीं जेपीएससी पीटी परीक्षा में आयोग के द्वारा जो कट ऑफ मार्क्स घोषित किया गया है. उससे अधिक अंक उन्हें प्राप्त है. उसके बावजूद भी जेपीएससी ने उन्हें फेल कर दिया है. अदालत से गुहार लगाई है कि उन्हें मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए. जिस पर अदालत ने प्रार्थी को किसी भी प्रकार की राहत देने से फिलहाल इंकार कर दिया है.
अदालत ने झारखंड लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता से जानना चाहा कि यह कारनामा कैसे हुआ? जिस पर आयोग के अधिवक्ता ने कहा कि प्रार्थी गलत बोल रही हैं. इसका ओएमआर सीट सही से नहीं भरा हुआ है. इसलिए इन्हें फेल किया गया है. जिस पर अदालत ने आयोग को शपथ पत्र के माध्यम से अपनी बात अदालत में पेश करने को कहा है.
JPSC की ओर से 7वीं से 10वीं सिविल सेवा परीक्षा का परिणाम 1 नवंबर को जारी किया गया था. तब से ही कैंडिडेट रिजल्ट में धांधली होने का आरोप लगा रहे हैं. एग्जाम रिजल्ट में हुई गड़बड़ी को लेकर कैंडिडेट 50 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. कैंडिडेट का कहना है कि जब तक प्रीलिम्स की परीक्षा रद्द नहीं की जाती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.