शाहजहां शेख मामले में हाईकोर्ट सख्त, सरकार को आज शाम 4:15 तक सीबीआई को सौंपने का आदेश

सरकार ने कहा था कि सीबीआई को केस ट्रांसफर करना गलत है.

Update: 2024-03-06 09:22 GMT

शाहजहां शेख मामले में हाईकोर्ट सख्त, सरकार को आज शाम 4:15 तक सीबीआई को सौंपने का आदेश

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को बुधवार को बड़ा झटका लगा है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने शाहजहां शेख को आज 4 बजकर 15 मिनट तक सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है.
इससे पहले ममता बनर्जी सरकार को संदेशखाली और शेख शाहजहां के मामले पर सुप्रीम कोर्ट से भी फौरी राहत नहीं मिली थी. ममता सरकार ने इस मामले पर तुंरत सुनवाई के लिए कोर्ट से अपील की थी. लेकिन अदालत ने इससे इनकार कर दिया था. राज्य सरकार ने अपनी अर्जी में हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक का अनुरोध किया था.
ममता सरकार ने कहा था कि इस मामले में बेबुनियाद आरोप लगाकर सीबीआई को केस ट्रांसफर किया गया जबकि हमारी एसआईटी जांच कर रही थी. राज्य सरकार ने कहा था कि सीबीआई को केस ट्रांसफर करना गलत है. ये सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेशों का उल्लंघन है. राज्य की पुलिस ने इस मामले मे तेजी दिखाई है और इसकी अभी भी जांच चल रही है.
वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि पश्चिम बंगाल पुलिस से हाई कोर्ट के आदेश को इस तरह समझा कि हाई कोर्ट ने सिर्फ ED के साथ हुई घटना की जांच के लिए SIT बनाने पर रोक लगाई है. इसलिए हमने शाहजहा शेख पर अपनी कार्रवाही जारी रखते हुए उसे गिरफतार कर लिया.
पांच जनवरी को पश्चिम बंगाल राशन घोटाला मामले में अकुंजीपारा स्थित शेख के आवास पर छापेमारी करने पहुची ED अधिकारियों को करीब 200 स्थानीय लोगों हमला किया. इस झड़प के दौरान कई ED अधिकारी घायल हो गए थे. पश्चिम बंगाल पुलिस ने 55 दिनों बाद आखिरकार 29 फरवरी को इसे गिरफ्तार किया. जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि चीफ जस्टिस से सम्पर्क करें. वो मामले को सुनवाई के लिए जल्द लिस्ट करने पर फैसला लेंगे. लंच के समय चीफ जस्टिस तय करेंगे कि कब और किस पीठ के समक्ष सुनवाई हो.
राज्य सरकार ने अत्यंत तत्परता के साथ जांच को आगे बढ़ाया. शेख शाहजहां को उच्च न्यायालय द्वारा यह स्पष्ट किए जाने के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया गया कि उनकी गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं है. राज्य सरकार का कहना है, हाई कोर्ट का आदेश विकृत, अवैध और मनमाना है और इसे खारिज किया जाना चाहिए.राज्य सरकार पर निराधार आरोप लगाए गए हैं.
सरसरी तौर पर जांच को सीबीआई को हस्तांतरित करना इस माननीय न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून का उल्लंघन है. मौजूदा मामले में राज्य पुलिस द्वारा उठाए गए व्यापक कदमों की पूरी तरह से अनदेखी की गई है.
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