हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को लगाई फटकार, कहा- डॉ. कफील 4 साल से निलंबित क्यों?

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत के मामले में निलंबित डॉ. कफील अहमद खान ने अब इलाहबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

Update: 2021-08-02 17:07 GMT

इलाहबाद. गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत के मामले में निलंबित डॉ. कफील अहमद खान ने अब इलाहबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने अपने निलंबन को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने भी सरकार के प्रति नाराजगी जताई और फटकार लगाते हुए पूछा कि डॉ. कफील को आखिर चार साल से निलंबित क्यों रखा गया है. कोर्ट ने इसके साथ ही पूछा कि ऐसा क्या हुआ कि अभी तक विभागीय कार्रवाई पूरी नहीं की जा सकी है.

सरकार से मांगा जवाब
जस्टिस यशवंत वर्मा की एकल पीठ ने अब इस मामले में राज्य सरकार से 5 अगस्त तक जवाब मांगा है. कोर्ट का कहना है कि इतने लंबे समय तक विभागीय कार्रवाई न होने के पीछे क्या कारण है और क्‍यों इतने लंबे समय तक डॉ. कफील अहमद खान को निलंबित रखा जा रहा है. इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि अभी तक की गई जांच की रिपोर्ट भी पेश की जाए. साथ ही विभागीय जांच को जल्द से जल्द पूरा कर जो भी कार्रवाई उचित हो उसको किया जाए. हालांकि लंबे समय तक निल‌ंबित रखने की बात पर कोर्ट ने सरकार के साथ ही विभाग पर भी नाराजगी जताई.
चार साल से न्याय के लिए भटक रहा
याची डॉ कफील अहमद खान का कहना है कि उसे 22 अगस्त 17 को ऑक्सीजन आपूर्ति मामले में उन्हें निलंबित किया गया था. मामले को लेकर विभागीय जांच भी बैठाई गई थी. उन्होंने बताया कि कार्रवाई पूरी नहीं होती देख हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने मामले में 7 मार्च 2019 को आदेश दिया कि 3 माह के अंदर कार्रवाई पूरी की जाए. इसके बाद विभाग ने 15 अप्रैल 2019 को रिपोर्ट पेश की जिसके बाद 11 माह बीतने पर 24 फरवरी 2020 को जांच रिपोर्ट स्वीकार कर दो बिन्दुओं पर फिर जांच का आदेश दिया गया. डॉ. कफील का कहना है कि वह चार साल से न्याय के लिए भटक रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनके मामले में जो भी निर्णय लेना हो अधिकारी लें लेकिन जांच को लंबित रख मामले को चार साल तक लटका कर रखना उचित नहीं है. कोर्ट ने अब इस मामले में सख्त रुख अपनाया है और अगली सुनवाई अब 5 अगस्त को होगी.
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