डार्कवेब से ऑर्डर कर विदेश से भारत मंगाते थे गांजा, 3 शातिर तस्कर गिरफ्तार

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Update: 2021-11-11 01:37 GMT

दिल्ली पुलिस ने ऐसे तीन शातिर तस्करों को गिरफ्तार किया है, जो डार्क वेब का इस्तेमाल कर कनाडा से ड्रग्स दिल्ली मंगाते थे. साथ ही आरोपी ड्रग्स के पैसे बिटकॉइन के जरिए चुकाया करते थे.

इस गैंग का सरगना बी.टेक फाइनल ईयर का छात्र है. जिसकी पहचान प्रियांश के तौर पर हुई है. पुलिस के मुताबिक, जो भी ड्रग्स विदेश से भारत आती थी, उसे इस तरह से पैक किया जाता थी कि वो स्कैनर में जांच के दौरान पकड़ में नहीं आती थी.
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने प्रियांश के साथ करण और संजीव मिढ्ढा को गिरफ्तार किया है. करण की उम्र 24 साल है जबकि प्रियांश 22 साल का है. प्रियांश प्राइवेट कॉलेज से बी.टेक कर रहा था और फाइनल ईयर का स्टूडेंट है. जबकि उसके साथी संजीव के खिलाफ पहले से ही कुछ आपराधिक मामले भी दर्ज हैं.
डार्क नेट का करते थे इस्तेमाल
क्राइम ब्रांच को जानकारी मिली थी कि कुछ लोग डार्क नेट का इस्तेमाल करके कनाडा से ड्रग्स हिंदुस्तान मंगवा रहे हैं और उसे बेच रहे हैं. जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने साइबर एक्सपर्ट्स की मदद ली और आरोपियों की तलाश में जुट गई.
क्राइम ब्रांच के अधिकारी आलोक कुमार ने बताया कि डार्क नेट पर जो भी अपराधी काम करता है. एक फेस पर 50 से 60 मास्क लगा लेता है, फिर उसके पीछे छिप कर चैट करता है. इसलिए उसके बारे में पता लगाना बेहद मुश्किल हो जाता है और इस तरीके की आपराधिक गतिविधियों में लिप्त बदमाश लेनदेन के लिए बिटकॉइन का इस्तेमाल करने लगे हैं. जिसकी वजह से पुलिस को इनको ट्रैक करना और मुश्किल हो गया है.
दिल्ली पुलिस को पता चला कि यह बदमाश एक ऐप के जरिए कनाडा में बैठे तस्करों से संपर्क में हैं. इसके बाद पुलिस इन तस्करों पर नजर रखने लगी. पुलिस को जानकारी मिली कि आरोपियों ने डार्क नेट के जरिए कनाडा में पहले आर्डर दिया. फिर 40 लाख रुपये की कीमत का करीब 2 किलो गांजा हिंदुस्तान मंगवाया. इसी दौरान पुलिस ने दबिश देकर तीनों आरोपियों प्रियांश, करण और संजीव को गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस के मुताबिक ये तीनों शातिर इस गांजे को आगे काफी महंगे दामों में बेचा करते थे. दिल्ली में इनके कुछ पिक क्लाइंटेल है, जिनके बारे में पुलिस फिलहाल पता लगाने की कोशिश कर रही है. पुलिस को अंदेशा है कि इन लोगों ने पिछले साल इसी तरह दो बार ड्रग्स मंगवाई थी. पूछताछ में पता चला कि ये लोग ड्रग्स की पैकिंग कुछ विशेष तरीके से कराते थे. जिसकी वजह से एयरपोर्ट के स्केनर में डिब्बे के अंदर पैक ड्रग्स नजर नहीं आती थी. 
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