नई दिल्ली। 28 मई को भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्देश देने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कल सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट के वकील सीआर जया सुकिन ने यह जनहित याचिका दाखिल की है, जिसमें कहा गया है कि उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को शामिल नहीं करके भारत सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है. ऐसा करके संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है.
बता दें कि देश में नई संसद बिल्डिंग का 28 मई को उद्घाटन होना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे. पीएम ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था. उद्घाटन कार्यक्रम में ज्यादातर विपक्षी पार्टियां नहीं होंगी. अब तक 20 विपक्षी पार्टियां नई संसद के उद्घाटन के बहिष्कार का ऐलान कर चुकी हैं.
सुप्रीम कोर्ट 28 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्देश देने वाली जनहित याचिका पर कल यानी शुक्रवार को सुनवाई करेगा। शीर्ष अदालत में एक जनहित याचिका दायर कर लोकसभा सचिवालय को नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रपति ‘‘देश की प्रथम नागरिक हैं और इस लोकतांत्रिक संस्था की प्रमुख हैं।’’
याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादी--लोकसभा सचिवालय और भारत संघ--उन्हें (राष्ट्रपति को) उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं कर राष्ट्रपति को अपमानित कर रहे हैं। शीर्ष न्यायालय की एक वकील ने यह याचिका, 28 मई को नये संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए जाने के कार्यक्रम को लेकर छिड़े एक बड़े विवाद के बीच दायर की है।
करीब 20 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति को ‘‘दरकिनार’’ किये जाने के विरोध में समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है। बुधवार को 19 राजनीतिक दलों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘जब लोकतंत्र की आत्मा को संसद से बाहर निकाल दिया गया है, तब हमें एक नये भवन का कोई महत्व नजर नहीं आता।’’ वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने इस तिरस्कारपूर्ण फैसले की निंदा की।