13 सितंबर को सुनवाई, बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से कही ये बात

Update: 2022-09-08 08:47 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा है कि कोरोना महामारी के दौरान मास्क नहीं पहनने वाले लोगों के खिलाफ दर्ज मामलों से कैसे निपटा जा सकता है? नितिन जामदार और जस्टिस नितिन बोरकर की पीठ योगेश खंडारे द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
योगेश खंडारे ने याचिका में जनवरी 2022 में दहिसर पुलिस स्टेशन में गैरकानूनी और लापरवाही से संक्रामक रोग फैलाने के आरोप में IPC की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की है. खंडारे और 5 अन्य लोग बिना मास्क पहने हुए सार्वजनिक जगह पर पाए गए थे.
खंडारे की ओर से पेश वकील प्रतीक्षा शेट्टी ने तर्क दिया कि वह अन्य 5 व्यक्तियों के साथ नहीं थे और FIR में अधिक से अधिक आरोप मास्क नहीं पहनने का होगा. वकील ने कहा कि खंडारे एक छात्र हैं जो अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने का इरादा रखता है, इसलिए उसे राहत दी जानी चाहिए. वहीं राज्य की ओर से पेश मुख्य लोक अभियोजक अरुणा पई ने कहा कि खंडारे छुट्टी के लिए जा सकते हैं.
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि हम खंडारे द्वारा लंबित मामले और शिक्षा पर उसके प्रभाव के बारे में व्यक्त की गई कठिनाइयों की कल्पना कर सकते हैं. हालांकि हमें उस क्षेत्राधिकार के दायरे से सावधान रहना होगा जिसे हमें प्रयोग करने के लिए कहा जाता है. अदालत ने अरुणा पई से पूछा कि उनका इस मामले में क्या रुख है. कोर्ट ने कहा कि चूंकि जनवरी 2021 तक महामारी की स्थिति और तब लगाए गए प्रतिबंध अब मौजूद नहीं हैं और हम पाते हैं कि कई मामलों में मुकदमा भी नहीं चलाया गया है. हालांकि इस पर पई ने कहा कि आरोप पत्र दायर करने के बाद अभियोजन पक्ष की ओर से कोई बयान देना संभव नहीं है.
इस पर पीठ ने कहा कि राज्य अपराध के लिए अपनाई जाने वाली कार्रवाई के तरीके को देख सकता है जैसे कि वर्तमान मामले में. अदालत ने आदेश दिया कि लोक अभियोजक का कार्यालय इस आदेश की एक प्रति सचिव (गृह) महाराष्ट्र राज्य के समक्ष विचार के लिए रखेगा और 13 सितंबर को याचिका पर सुनवाई करेगा.
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