यूपी। सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी सर्वे मामले पर सुनवाई से पहले हिंदू पक्ष ने नोटिस के जवाब में हलफनामा दाखिल कर दिया है. इसमें कहा गया है कि भारत में इस्लामिक शासन से हजारों साल पहले से आदि विश्वेश्वर भगवान की संपत्ति किसी को नहीं दी जा सकती. हलफनामे में कहा गया है कि औरंगज़ेब ने शासक होने के नाते जबरन कब्ज़ा किया. इससे मुसलमानों को संपत्ति पर हक नहीं मिल जाता. ज्ञानवापी पर हिंदू सदियों से उसी स्थल पर अपनी रीतियों का पालन कर रहे हैं. पूजा, परिक्रमा अनुष्ठान कर रहे हैं. हिंदू पक्ष ने कहा कि जबरन कब्जा करने वाले शासक औरंगजेब ने ज्ञानवापी मस्जिद के लिए कोई वक्फ नहीं स्थापित किया. विवादित जगह मस्ज़िद नहीं है.
सुनवाई योग्य नहीं है याचिका
हिंदू पक्ष ने मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज करने की मांग करते हुए अपने हलफनामे में कहा है कि मुस्लिम पक्ष की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. लिहाजा इसे खारिज किया जाना चाहिए. हलफनामे में कहा गया कि औरंगजेब ने संप्रभु की हैसियत से मंदिर गिराने का फरमान दिया था, जबकि ये जमीन किसी मुसलमान की नहीं थी. ये जमीन किसी मुस्लिम संस्था या वक्फ बोर्ड की भी नहीं है. पूजा करने वाले पहले से ही वहां देवी देवताओं की पूजा कर रहे हैं. इसके अलावा वहां 'परिक्रमा' की धार्मिक प्रथा का निर्वहन भी है.
सनातनी हिंदू भगवान शिव के उपासक और सामान्य रूप से हिंदू भगवान आदिविशेश्वर और देवी श्रृंगार गौरी और अन्य देवताओं की पूजा करते हैं जो संपत्ति के भीतर मौजूद हैं. आराध्य देवता के चारों ओर परिक्रमा का उपक्रम हिंदू कानून द्वारा मान्यता प्राप्त पूजा का अभिन्न और प्राचीन अंग है. हजारों की संख्या में भक्त परिक्रमा और अन्य धार्मिक अनुष्ठान करते रहे हैं. विशेष अवसरों और त्यौहारों पर लाखों भक्त पूजा करने के लिए इकट्ठा होते हैं. इसलिए परिसर विशाल बनाए गए.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले में सुनवाई होगी. इससे पहले शुक्रवार को सुनवाई टाल दी गई थी. साथ ही कोर्ट ने वाराणसी कोर्ट की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ज्ञानवापी के मसले पर तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी.