हेल्थकेयर सिस्टम 'राम भरोसे'...हाईकोर्ट की टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट भी नाखुश! जाने- क्या है पूरा मामला

Update: 2021-07-14 09:22 GMT

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी एक टिप्पणी में उत्तर प्रदेश के हेल्थकेयर सिस्टम को 'राम भरोसे' कहा था. अब प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हेल्थ सिस्टम को लेकर जानकारी दी है.

यूपी सरकार की ओर से जानकारी दी गई है कि प्रदेश में 289 कम्युनिटी हेल्थ केयर सेंटर्स हैं, जिनमें हर किसी में दो बायपास मशीन मौजूद हैं. कुल 298 ऑक्सीजन सेंटर्स केंद्र सरकार द्वारा दिए गए हैं, जबकि 20 हज़ार कंस्ट्रेटर राज्य सरकार द्वारा खरीदे जा रहे हैं.
SC ने भी माना अव्यवहारिक...
इस मामले की सुनवाई के दौरान SG ने सुप्रीम कोर्ट के सामने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश का हवाला देते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने 1 महीने में राज्य के सभी गांवों में 2-2 ICU एम्बुलेंस दिए जाने को कहा था, यह कहां तक व्यवहारिक है?
सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के इस आदेश को अव्यवहारिक माना. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह जनहित मामलों में दिए जाने वाले कोर्ट के आदेशों की सीमा तय करने पर भी विचार करेगा. फिलहाल इस मामले पर अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी.
एम्बुलेंस और कम्युनिटी हेल्थ सेंटर पर दी जानकारी
अपने हलफनामे में यूपी सरकार ने जानकारी दी है कि प्रदेश में कुल 2200 लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस हैं, जबकि 250 एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस हैं. इनके अलावा कुल 1771 ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर प्रदेश के 273 कम्युनिटी हेल्थ सेंटर्स में दिए जा चुके हैं.
यूपी सरकार के मुताबिक, 7189 बेड्स के लिए 44 लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाले ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर इंस्टॉल किए जा रहे हैं, जबकि 18 जनरेटर्स इंस्टाल हो चुके हैं. कुल 528 ऑक्सीजन प्लांट को सैंकशन किया गया है, इनमें से 133 चालू हो गए हैं.
हलफनामे में बताया गया है कि प्रदेश सरकार ने हर कम्युनिटी हेल्थ सेंटर के लिए 20 ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर खरीदे जा रहे हैं. बच्चों को लेकर भी तैयारी की जा रही है और हर जिला अस्पताल में 10-15 बेड्स वाले आईसीयू बनाए जा रहे हैं, जबकि मेडिकल कॉलेज में 25-30 बेड्स वाले आईसीयू की तैयारी है.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान काफी बुरा हाल था. इस दौरान कई जिलों में ऑक्सीजन का संकट था और अस्पतालों में मरीजों के लिए जगह नहीं मिल पाई थी. तब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर तल्ख टिप्पणी की थी. हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी थी. 
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