सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्रीय चुनाव आयोग स्वास्थ्य सचिव से ओमिक्रोन के बढ़ते खतरे और इससे जुड़ी हुई तमाम जानकारियां जानना चाहता है. केंद्रीय चुनाव आयोग स्वास्थ्य मंत्रालय से यह भी जानना चाहता है कि यह ओमिक्रोन वेरिएंट कितना ज्यादा खतरनाक हो सकता है और इससे बचने के क्या कुछ उपाय बताए गए हैं. सवाल यह भी हो सकता है कि देश की एक बड़ी व्यस्क आबादी को कोरोना की पहली और दूसरी डोज़ लग चुकी है तो ऐसे में इस ओमिक्रोन का खतरा कितना ज्यादा बढ़ा है. केंद्रीय चुनाव आयोग यह भी जानने की कोशिश करेगा कि क्या अगर ऐसे माहौल में चुनाव संपन्न करवाए जाता है तो उससे कोरोना के इस नए वेरिएंट को फैलने से कैसे रोका जा सकता है. केंद्रीय चुनाव आयोग की आज की बैठक इस वजह से भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि इस बैठक से कुछ दिन पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में केंद्रीय चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री से अपील की थी कि वह कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के खतरे को देखते हुए रैलियो और रोड शो पर रोक लगाएं और अगर मुमकिन है तो चुनावों को भी डाला जाए.
वैसे तो इलाहाबाद हाईकोर्ट इसको लेकर कोई आदेश भले ही ना दिया हो लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिस तरह से केंद्रीय चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री से अपील की है निश्चित तौर पर उसके बाद से केंद्रीय चुनाव आयोग के ऊपर भी एक अतिरिक्त जिम्मेदारी बढ़ गई है, क्योंकि अब चुनाव आयोग को यह तय करना है कि अगर ओमिक्रोन के खतरे के बीच चुनाव संपन्न करवाने हैं तो वह कैसे करवाए जाएंगे, क्योंकि ऐसे तो बंगाल चुनावों के दौरान भी केंद्रीय चुनाव आयोग ने कोरोना प्रोटोकॉल के पालन का निर्देश देते हुए कई आदेश जारी किए थे लेकिन उन आदेशों का खुलेआम उल्लंघन हुआ था.
इसी वजह से केंद्रीय चुनाव आयोग की आज की बैठक अपने आप में खासी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि इससे आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग को खुद में भी एक स्पष्टता मिलेगी और यह तय करने में मदद मिलेगी चुनाव संपन्न करवाने हैं तो किन नियम और दिशानिर्देशों के बीच. अगर केंद्रीय चुनाव आयोग को ऐसा लगता है कि चुनाव संपन्न करवाने के दौरान ओमिक्रोन का खतरा लगातार बढ़ता जाएगा तो केन्द्रीय चुनाव आयोग इलाहाबाद हाईकोर्ट के अपील पर विचार भी कर सकता है, जिसमें चुनावों को फिलहाल ना करवाने की बात कही गई थी.