स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कांफ्रेंस: भारत कोरोना की दूसरी लहर के बीच में, बच्चों के लिए वैक्सीनेशन पर आया ये बयान
नई दिल्ली: कोरोना महामारी का प्रभाव देश की पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ा है लेकिन इसका सबसे बुरा प्रभाव शिक्षा पर पड़ा है. पिछले करीब दो सालों से स्कूल बंद हैं. कोरोना (Coronavirus) के हालात बेहतर होने पर कई राज्यों में स्कूल फिर से खोल दिए गए. अब बच्चों के वैक्सीनेशन (Corona Vaccination) पर नीति आयोग (Niti Aayog) के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने बड़ी बात कही है. उन्होंने कहा कि स्कूल जाने वाले बच्चों पर वैक्सीनेशन का दबाव नहीं है.
डॉ. पॉल ने कहा कि बच्चों के लिए वैक्सीन पर सरकार तेजी से काम कर रही है. इसके लिए जायडस कैडिला वैक्सीन को मंजूरी दे दी गई है और वैक्सीन के अभी तक के परीक्षण भी काफी अच्छे रहे हैं. उन्होंने कहा कि वैक्सीन आने के बाद किन बच्चों को वैक्सीन पहले दी जाए इस पर विचार विमर्श चल रहा है.
बच्चों के लिए अनिवार्य नहीं है वैक्सीन
उन्होंने कहा कि देश में एक बार फिर से स्कूलों को खोला जा रहा है. स्कूल जाने के लिए बच्चों पर वैक्सीनेशन का दबाव नहीं है, बच्चों के लिए वैक्सीन अनिवार्य नहीं है. डॉ. पॉल ने कहा कि स्कूली टीचर्स और स्कूल के स्टॉफ के लिए वैक्सीनेशन अनिवार्य है.
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाने लिए जायडस कैडिला की ZyCoV-D वैक्सीन को मंजूरी दे दी है. उम्मीद जताई जा रही है कि अक्टूबर माह तक ये वैक्सीन आ जाएगी. जायडस की यह वैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है और इसे 12 वर्ष से अधिक उम्र और 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को दिया जाएगा.
जायडस कैडिला वैक्सीन से पहले देश में सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड, भारत बॉयोटेक की कोवैक्सीन, रूस की स्पूतनिक वी, मॉडर्ना और जानसन एंड जॉनसन की वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा था. जाइडस ने 1 जुलाई को आपातकालीन इस्तेमाल के लिए आवेदन किया था.