Hathras Case: पीड़ितों को नहीं मिली मदद, सामने आई नारायण साकार की सच्चाई

पढ़े पूरी खबर

Update: 2024-07-13 16:11 GMT
हाथरस: उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई भगदड़ में अपनी जान गंवाने वाले 123 लोगों के परिजनों के सामने भोले बाबा का सच सामने आने लगा है. इस हादस के बाद नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा उर्फ सूरजपाल सिंह जाटव ने ऐलान किया था कि उसकी तरफ से पीड़ितों को मदद की जाएगी. लेकिन दो हफ्ते बीत जाने के बाद भी बाबा या उसके सेवादारों की तरफ से किसी को कोई मदद नहीं मिली है. हां, उसके वकील के तरफ से हर रोज नए-नए दावे जरूर किए जा रहे हैं.
हाथरस में हुए हादसे के बाद से भोले बाबा लापता है. पुलिस उसकी लोकेशन तो ट्रेस नहीं कर पाई, लेकिन नारायण हरि के 'नए कांड' का खुलासा जरूर हो गया है. हादसे के बाद उसने वीडियो बयान के जरिए भगदड़ में मारे गए भक्तों की मदद करने का ऐलान किया था. ये दावा किया था कि मारे गए भक्तों के परिजनों की पूरी जिम्मेदारी उठाएंगे. उनकी हर संभव मदद करेंगे. लेकिन पीड़ितों का कहना है कि न तो उनकी तरफ से कोई मिलने आया, ना किसी ने मदद की है.
अपने प्रवचनों की तरह एक बार फिर बाबा ने भक्तों को अपने मायाजाल में फंसा दिया. क्योंकि भगदड़ में जान गवाने वाले भक्तों के परिवार को अब तक बाबा नारायण हरि की तरफ से भेजी जाने वाली मदद का इंतजार है. एक मृतक चंद्रप्रभा के परिजनों ने बताया कि बाबा की तरफ से किसी ने संपर्क नहीं किया है और ना ही कोई मदद की गई है. अलबत्ता सरकार की तरफ से भेजी गई मदद पहुंच गई. उनकी तरफ सो पीड़ित परिवारों को 2-2 लाख चेक मिल गया है.
17 साल की खुशबू घरवालों के साथ सतसंग में गई थी, लेकिन फिर जिंदा नहीं लौटी. घरवालों का आरोप है कि बाबा नारायण हरि की तरफ से झूठा दावा किया गया, क्योंकि अब तक मदद तो छोड़िए बाबा की संस्था की तरफ से कोई घर तक नहीं आया है. खुशबू के पिता राजकुमार ने बताया कि सरकार की तरफ से दो लाख रुपए आए हैं. बाबा की तरफ से कोई नहीं है. यही हाल मीरा और सुधा के घरवालों का है. पूरा परिवार भोले बाबा का सत्संग सुनने गया था.
उनके घरवालों का कहना है कि सरकार की तरफ से 2-2 लाख का चेक घर पहुंच गया, लेकिन बाबा नारायण हरि की ओर से कोई मदद नहीं मिली है. परिवार ने दो बेटियों को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया. मीरा और सुधा अब इस दुनिया में नहीं है. घरवालों उस घड़ी को कोस रहे हैं, जब सत्संग में जाने का फैसला लिया था. मृतक आशा देवी के परिजनों का दर्द भी यही है. बेटे का आरोप है बाबा तो बाबा, तमाम दलों के नेताओं ने भी मदद के नाम पर सब्जबाग दिखाया.
इन लोगों ने अपनों को खोया है, किसी ने मां को, किसी ने बहन को, किसी ने बेटी को, इस जख्म की भरपाई कोई मुआवजा नहीं कर सकता, मृतकों के परिजनों का अब यही कहना है कि दर्द की घड़ी में सांत्वना के दो शब्द ही काफी थे. ऐसे में सवाल उठता है कि भोले बाबा ने इतना बड़ा झूठ क्यों बोला? हादसे के बाद से बाबा लोगों के सामने क्यों नहीं आ रहा है? वो वीडियो के जरिए बयान क्यों दे रहा है? पुलिस ने उसके खिलाफ केस क्यों नहीं दर्ज किया है?
उपरोक्त सवालों के जवाब का इंतजार पूरे देश को है. यूपी सरकार ने इस हादसे की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है. उसकी शुरुआती जांच में ही कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं. इसके मुताबिक, इस भगदड़ की वजह कोई और नहीं, बल्कि खुद भोले बाबा और उसका एक ऐलान था. 2 जुलाई के दोपहर 1.30 बजे तक सब कुछ शांत था. 2 लाख से ज्यादा की भीड़ पूरी शांति और भक्ति भाव के साथ भोले बाबा का प्रवचन सुन रही थी.
अमूमन बाबा सत्संग के दौरान डेढ़ दो घंटे तक प्रवचन देता है. लेकिन दो जुलाई की दोपहर उमस भरी बहुत तेज गर्मी थी. ऊपर से सत्संग स्थल पर जितने लोगों की क्षमता थी उससे तीन गुना ज्यादा भक्त इकट्ठा हो चुके थे. इन्हीं दो वजहों से भोले बाबा ने अपना प्रवचन छोटा कर दिया. दोपहर 12.30 बजे अपना प्रवचन शुरु किया था और ठीक 1.30 बजे यानि एक घंटे में ही प्रवचन समाप्त भी कर दिया. अब भी सब कुछ ठीक और शांत था.
भक्त अपनी अपनी जगह पर ही बैठे थे. लेकिन प्रवचन समाप्त करने से ऐन पहले भोले बाबा भक्तों को ऐलानिया आदेश दिया कि अब वो उनके चरणों की धूल ले सकते हैं. भोले बाबा का बस इतना कहना था कि दो 2.5 लाख का हुजूम अचानक खड़ा हो गया. अब हर चरण बाबा के चरणों की धूल की तरफ लपकने लगा और बस यहीं से हाल के वक्त की सबसे ख़ूनी भगदड़ शुरू हो गई. इसकी कहानी खुद उन लोगों ने बयां कि है, जो उस वक्त सत्संग स्थल पर मौजूद थे.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज बृजेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में जांच कर रही तीन सदस्यीय कमेटी ने अपनी जांच की शुरुआत उन चश्मदीदों के बयान से की, जो भगदड़ के वक्त सत्संग में मौजूद थे. इस कमेटी में बृजेश कुमार श्रीवास्तव के अलावा रिटायर्ड आईएएस अफसर हेमंत राव और भावेश कुमार भी शामिल हैं. इस न्यायिक कमेटी को दो महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है. ये कमेटी अब तक 34 चश्मदीदों के बयान दर्ज कर चुकी हैं.
इसी कमेटी के सामने हाथरस के एक चश्मदीद ने अपना बयान दर्ज कराते हुए कहा कि सत्संग खत्म होते ही चरणों की धूल लेने के भोले बाबा के आदेश ने ही सुबह से शांत बैठे भक्तों में भगदड़ मचा दी. बाबा की रवानगी से पहले ही भक्तों में भगदड़ मच चुकी थी और वो ये सब कुछ देख रहे थे, क्योंकि चरणों की धूल लेने के लिए भक्त भोले बाबा के ही करीब जाने की कोशिश कर रहे थे. यदि भोले बाबा चाहते थे तो वो उस हादसे को रोक सकते थे.
उस वक्त माइक पर भक्तों से एक अपील कर देते तो लोग शांत होकर अपनी-अपनी जगह पर लौट जाते, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उलटे वो वहां से गाड़ियों के अपने काफिले के साथ निकल गए. उन्हें निकलता देखने के बावजूद भक्त नहीं रुके. वो अब उस कार के पहिये से उड़ने वाली धूल को मुट्ठी में कैद करने के लिए अब पीछे-पीछे भागने लगे, जो धूल उठाने के लिए झुके, उन्हें पीछे से आती भीड़ गिराती चली गई. फिर किसी को उठने का मौका ही नहीं मिला.
एक दूसरे चश्मदीद के मुताबिक, सत्संग वाली जगह पर सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं था, न पुलिस प्रशासन की तरफ से और न ही भोले बाबा के सेवादारों की तरफ से. इस चश्मदीद ने कमेटी के सामने कहा कि भीड़ को बाबा के सेवादारों ने जिस तरह कंट्रोल करने की कोशिश की और जैसे ही उन्हें धक्का दिया गया, उसकी वजह से भी अफरातफरी फैल गई. भोले बाबा के काफिले को रास्ता देने के चक्कर में भी बहुत सारे भक्त सड़क से फिसल कर खेतों में गिरने लगे.

Similar News

-->