हैप्पी बर्थडे महेंद्र सिंह धोनी, काम ऐसे किया दुनियाभर में गूंजती है नाम

Update: 2023-07-07 02:26 GMT

भारतीय पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी आज यानी 7 जुलाई को अपना 42वां जन्मदिन मना रहे हैं। माही की गिनती भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया के भी सबसे सफल कप्तानों में की जाती है। साल 2020 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद अब सिर्फ आईपीएल में ही फैंस को धोनी की झलक देखने को मिलती है। माही आज भी जब मैदान पर उतरते हैं तो पूरा स्टेडियम उन्हीं के नाम से गूंज उठता है। धोनी ने अपने करियर में वो सब कुछ हासिल किया जो एक खिलाड़ी हासिल करना चाहता है। माही की कप्तानी में भारत ने 2007 टी20 वर्ल्ड कप के साथ 2011 वर्ल्ड कप और 2013 चैंपियन ट्रॉफी अपने नाम की। धोनी दुनिया के एकमात्र कप्तान हैं जिनके नाम 3-3 आईसीसी ट्रॉफी जीतने का रिकॉर्ड है। मगर क्या आप जानते हैं कि अगर क्रिकेट के भगवान ने उनकी सिफारिश नहीं की होती तो शायद धोनी यह कारनामा नहीं कर पाते।

जी हां, क्रिकेट के भगवान यानी सचिन तेंदुलकर की सिफारिश के दम पर ही भारत को महेंद्र सिंह धोनी जैसा नगीना मिला था। इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू करने से पहले धोनी ने क्रिकेट के गलियारों में काफी अनुभव हासिल किया था जिस वजह से 24 साल की उम्र में जब उन्होंने भारतीय टीम के लिए डेब्यू किया तो वह काफी परिपक्व थे।

धोनी का शांत दिमाग और खेल की समझ ने सचिन तेंदुलकर का दिल जीत लिया था इस वजह से उन्होंने टीम में युवराज सिंह, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर जैसे सीनियर खिलाड़ियों के होते हुए 2007 टी20 वर्ल्ड कप से पहले कप्तानी के लिए धोनी के नाम की सिफारिश की। एक इवेंट में सचिन तेंदुलकर ने धोनी को कप्तान बनाए जाने की कहानी के बारे में बताया 'यह इंग्लैंड में था जब मुझे कप्तानी की पेशकश की गई थी। मैंने कहा कि हमारे पास टीम में एक बहुत अच्छा लीडर है जो अभी जूनियर है और वह ऐसा व्यक्ति है जिसे आपको करीब से देखना चाहिए। मैंने उसके साथ बहुत सारी बातचीत की है, विशेष रूप से मैदान पर जहां मैं पहली स्लिप में फील्डिंग करता और उससे पूछा कि आप क्या सोचते हैं?'

उन्होंने आगे कहा 'हालांकि, राहुल कप्तान थे लेकिन मैं उनसे पूछा और मुझे जो प्रतिक्रिया मिली वह बहुत संतुलित, शांत, फिर भी बहुत परिपक्व थी। अच्छी कप्तानी विपक्ष से एक कदम आगे रहने के बारे में है। अगर कोई ऐसा करने के लिए पर्याप्त स्मार्ट है, जैसा कि हम कहते हैं, जोश से नहीं, होश से खेलो। यह तुरंत नहीं होता, आपको 10 गेंदों में 10 विकेट नहीं मिलेंगे। आपको इसकी योजना बनानी होगी। दिन के अंत में स्कोरबोर्ड मायने रखता है। और मैंने उनमें वे गुण देखे। इसलिए मैंने उनके नाम की सिफारिश की थी।


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