झड़ रहे थे बाल, कुछ बोल नहीं रही थी युवती...अचानक बिगड़ी तबीयत, उसके बाद...

एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है.

Update: 2021-09-03 08:04 GMT

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. बलरामपुर अस्पताल के डॉक्टरों ने बच्ची के पेट के ऑपरेशन करके करीब 2 किलो बालों की एक बड़ी गांठ को हटाया. लड़की दो साल से लगातार कमजोर हो रही थी. परिजनों ने उसके सिर से बाल झड़ते देखा, लेकिन पूछने पर लड़की कुछ नहीं बता पाई.

10 दिन पहले उसके पेट में तेज दर्द और तेज उल्टी हुई. परिजन बच्ची को बलरामपुर अस्पताल ले गए जहां सर्जरी विभाग के डॉ. एसआर समदार ने उसे देखा. अल्ट्रासाउंड की जांच में बच्ची के पेट में गांठ नजर आई. इसके बाद डॉक्टरों ने सीटी स्कैन कराने का फैसला किया. सीटी स्कैन में बड़ी गांठ दिखाई दी.
एंडोस्कोप में लड़की के पेट में एक ट्रॉयकोबेज़ार (बालों की गेंद) दिखी. यह गेंद करीब दो किलो की है. 20 सेंटीमीटर चौड़ी गांठ देखकर डॉक्टर हैरान रह गए. ऑपरेशन के बाद बच्ची को होश आया है, फिर पेट दर्द समेत अन्य समस्याओं से बच्ची को राहत मिली है.
डॉक्टरों के मुताबिक, वह जन्म के समय से ही मानसिक बीमारी की चपेट में है. लड़की पिछले दो साल से काफी कमजोर हो रही थी. सिर के बाल अनायास ही झड़ रहे थे. पूछने पर वह कुछ नहीं बोल रही थी. 10 दिन पहले उसके पेट में तेज दर्द हुआ और उल्टी होने लगी.
डॉ. समदार के मुताबिक गुरुवार को करीब डेढ़ घंटे तक ऑपरेशन चला. जिसमें बालों का एक गुच्छा बाहर निकाला गया था. पेट में बालों का गुच्छा गांठ में बदल गया था. धीरे-धीरे पेट से छोटी आंत तक का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया. इस वजह से खाना नीचे नहीं जा पा रहा था. यही वजह है कि करीब 32 किलो वजन के साथ लड़की कमजोर होती जा रही थी.
दूसरी ओर, जिस 17 वर्षीय लड़की का ऑपरेशन किया गया, वह ट्राइकोबेजोर रोग से पीड़ित थी. यह एक अजीब तरह का रोग है, जिसमें रोगी अपने ही बाल तोड़कर खाता है. इसे मेडिकल साइंस की भाषा में ट्राइकोबेज़ार कहते हैं. यह एक बहुत ही दुर्लभ और जटिल बीमारी है.
डॉक्टर्स ने बताया कि मरीज के पेट में बालों का गुच्छा था और इंसानी पाचन के कारण बाल पच नहीं पाते, जिससे पेट में बाल जमा होने लगते हैं. इसका इलाज सर्जरी से ही होता है. यह भी देखा गया है कि ऐसे रोगियों में मानसिक रोगों के लक्षण भी पाए जाते हैं. इससे रोगी अपने बालों को खाने लगता है.
खास बात यह है कि जांच से लेकर बच्ची का ऑपरेशन तक सब नि:शुल्क किया गया. डॉ. एसके सक्सेना, स्टाफ नर्स मीणा, रेजिडेंट विवेक, एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. पीयूष और डॉ. नुरुल हक, डॉ. समद्दर, सीनियर सर्जन की टीम में इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया.


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