ज्ञानवापी मस्जिद: वाराणसी कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट दाखिल, अब वकील ने किया बड़ा दावा
वाराणसी: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने के बीचो-बीच देखी गई आकृति कुछ और नहीं बल्कि तारकेश्वर महादेव का शिवलिंग है, ना की स्वयम्भू आदी विशेश्वर का. यह दावा किसी और ने नहीं बल्कि 1991 से वाराणसी के सिविल कोर्ट में चले आ रहे मामले में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू विशेश्वर की ओर से वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी का है.
1991 से वाराणसी के सिविल कोर्ट में चल रहे काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आदि विशेश्वर की ओर से वादमित्र वकील विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि विश्वनाथ मंदिर का एक पुराना नक्शा जो जेम्स प्रिंसेप तात्कालिक वाराणसी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के द्वारा अंग्रेजी हुकूमत के वक्त बनवाया गया था.
उनका कहना है कि वह नक्शा हिस्ट्री ऑफ बनारस रिटन बाय डॉक्टर ए एस एलटेकर (हेड ऑफ डिपार्टमेंट, बीएचयू वाराणसी) में किया गया है और दिखाया है कि किस-किस स्थान पर कौन-कौन देवता के मंदिर थे. जहां सर्वे हुआ है, वजू वाले स्थान पर उसको लोकेट करते हैं तो प्रथम दृष्टया उस नक्शे के अनुसार तारकेश्वर मंदिर को इंगित करता है.
वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने आगे कहा, 'क्योंकि वजू का स्थान ही तारकेश्वर मंदिर था, जिसे गिराकर सपाट कर दिया गया था तो यह जो शिवलिंग निकला है, अगर वह शिवलिंग है तो वह उसी तारकेश्वर महादेव का है. ऐसा मैं दृढ़ संकल्पित होकर के प्रथम दृष्टया कह सकता हूं.'
वकील विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि 1585 ईसवी में अकबर के नौ रत्नों में से एक राजा टोडरमल ने दक्षिण भारत के विद्वान पं० नारायणभट्ट (ग्रंथ-त्रिस्थली सेतु सन् 1580 ई) की मदद से विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था, क्योंकि नारायण भट्ट दक्षिण भारत से थे और दक्षिण भारत में पन्ना शिवलिंग का प्रचलन काफी पहले से था.
आगे उन्होंने कहा, 'टोडरमल ने किसी पन्ने का शिवलिंग की स्थापना नहीं की थी, इसलिए मैं इसे सिरे से खारिज करता हूं कि पन्ने का कोई शिवलिंग होना चाहिए.' स्वयंभू विशेश्वर की ओर से वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने फिर दावे से बताया कि वजूखाने में अगर शिवलिंग मिला है तो वह तारकेश्वर महादेव का ही शिवलिंग है.
नंदी के शिवलिंग के सामने होने के सवाल के जवाब में विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि सभी शिवलिंगों के सामने नंदी की मूर्ति होती है, लेकिन जो स्वयम्भू विशेश्वर का प्रधान लिंग (जो सेंट्रल डोम के नीचे बताया गया है) वह 100 फुट के हैं, वह उन्हीं नंदी की ओर मुखातिब हैं, वैसे देखा जाए तो अष्टकोणीय इस पुरातन मंदिर में उन सभी की ओर नंदी मुखातिब हैं.
विजय शंकर रस्तोगी ने फिर से एक बार जोर देते हुए बताया कि वजूखाने में मिला शिवलिंग स्वयंभू विशेश्वर का शिवलिंग नहीं है, बल्कि यह प्रतिस्थापित लिंग तारकेश्वर महादेव का हो सकता है, क्योंकि वह उसी स्थल से निकला है जो नक्शे में स्थान दिखाया जा रहा है, इसलिए मेरा मानना है कि वह लिंग तारकेश्वर महादेव का ही लिंग होगा.