जब हाईकोर्ट ने शिक्षक की जमानत याचिका खारिज करते हुए सुनाया संस्कृत श्लोक
जानें पूरा मामला।
अहमदाबाद (आईएएनएस)| गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति समीर दवे की एकल न्यायाधीश की पीठ ने जमानत से इनकार करते हुए एक संस्कृत श्लोक सुनाया। दरअसल, शिक्षक पर 12 वर्षीय छात्रा का यौन शोषण करने का आरोप है। इस मामले में शिक्षक की जमानत पर सुनवाई करते हुए पीठ ने श्लोक सुनाया, गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम: अदालत ने पक्षकारों के बीच अदालत के बाहर समझौते को भी खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति दवे ने स्कूल शिक्षक की जमानत को खारिज करते हुए कहा, शिक्षक से रक्षक के रूप में कार्य करने की अपेक्षा की जाती है। आरोपी द्वारा इस तरह के जघन्य कृत्यों का पीड़िता पर आजीवन मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक प्रभाव पड़ेगा। आरोपी ने 12 साल की छोटी सी उम्र में बच्ची के जीवन पर हमेशा के लिए कभी न मिटने वाला निशान छोड़ दिया है।
अदालत ने यह आदेश 30 नवंबर को पारित किया था और सोमवार को इसे सार्वजनिक किया गया।
कोर्ट ने आगे कहा, यह एक ऐसा मामला है, जहां विश्वासघात किया गया है और सामाजिक मूल्यों को नुकसान पहुंचाया गया है। ऐसे में, आरोपी किसी सहानुभूति या किसी भी उदारता के लायक नहीं हैं।
जुलाई 2022 में, स्कूल से लौटने के बाद, बच्ची ने अपने माता-पिता से शिकायत की, कि उसके शिक्षक निहार बराड़ ने उसके प्राइवेट पार्ट्स को गलत तरीके से छुआ है और इसलिए वह अगले दिन से स्कूल नहीं जाएगी। अभिभावकों ने पहले स्कूल प्रबंधन से मामले की शिकायत की और बाद में गिर सोमनाथ जिले के गिर गढ़ाडा पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई।