Gujarat: हड़प्पा युग का 'धोलावीरा' यूनेस्को की विश्व विरासत की सूची में हुआ शामिल

गुजरात में हड़प्पा युग का स्थल धोलीवाड़ा को यूनेस्को हेरिटेज कमेटी ने विश्व के धरोहरों की सूची में शामिल कर लिया है.

Update: 2021-07-27 12:10 GMT

फोटोः  गुजरात का 'धोलावीरा'

गुजरात में हड़प्पा युग का स्थल धोलीवाड़ा को यूनेस्को हेरिटेज कमेटी ने विश्व के धरोहरों की सूची में शामिल कर लिया है. यह फैसला वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी ऑफ यूनेस्को के 44वें सत्र के दौरान लिया गया और इसकी अध्यक्षता मंगलवार को चीन ने की. यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में धोलावीरा शामिल किए जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुशी जाहिर की है. उन्होंने धोलावीरी की कुछ तस्वीरों को ट्वीट करते हुए कहा- इस खबर से बिल्कुल खुशी हुई. धोलावीरा एक महत्वपूर्ण शहरी केंद्र था और हमारे अतीत के साथ हमारे सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से एक है. यहां पर विशेष रूप से इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व में रुचि रखने वाले अवश्य यात्रा करें.

इस सेशन में पहले तेलंगाना के मंदिर रुद्रेश्वर का नाम विश्व के धरोहरों की सूची में शामिल किया गया था, जिसे रामप्पा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. काकतिया रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर को 25 जुलाई को विश्व धरोहर के शिलालेख में अंकित किया गया जबकि सिंधु घाटी सभ्यता का एक विशाल स्थल धोलीवारा को आज शामिल किया गया है. बयान में कहा गया है कि भारत में विश्व धरोहर स्थल की संख्या बढ़कर 40 हो गई है.


धोलीवारा एक लोकप्रिय स्थल है जो गुजरात के कच्छ जिले के भचाऊ तालिका में मासर एवं मानहर नदियों के संगम पर स्थित है और यह सिंधु सभ्यता का एक प्रचीन और विशाल नगर था. धोलीवारा सिंधु सभ्यता का सबसे सुंदर नगर है और जल संग्रहण के प्राचीनतम साक्ष्य मिले हैं और अच्छी जल प्रबंधन की प्रणाली भी यहीं से मिली है. भारत में दूसरा सबसे बड़ा हड़प्पा स्थल और भारतीय उपमहाद्वी में पांचवां सबसे बड़ा है और यह इतिहास प्रेमियों के लिए खास जगह है. इसे स्थानीय रूप से कोटड़ा टिम्बा कहा जाता है.


25 जुलाई को तेलंगाना का मंदिर यूनेस्कों की विश्व धरोहर सूची में शामिल
रुद्रेश्वर रामप्पा मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में किया गया था और इसका नाम इसके शिल्पकार रामप्पा के नाम पर रखा गया है. सरकार ने 2019 के लिए यूनेस्को को इसे विश्व धरोहर स्थल के तौर पर मान्यता देने का प्रस्ताव दिया था. रामप्पा को मंदिर निर्माण में 40 साल का समय लगा था. छह फीट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर बने इस मंदिर की दीवारों पर महाभारत और रामायण के दृश्य देखे जा सकते हैं. मंदिर में भगवान शिव के वाहन नंदी की एक विशाल मूर्ति भी है, जिसकी ऊंचाई नौ फीट है. शिवरात्रि और सावन के महीने में यहां काफी श्रद्धालु पहुंचते हैं.
काकतीय धरोहर न्यास (केएचटी) के न्यासी एम पांडुरंगा राव ने कहा कि वे विश्व धरोहर स्थलों की सूची के लिए भारत के नामांकन में रामप्पा मंदिर को शामिल कराने के लिए 2010 से तेलंगाना राज्य पुरातत्व विभाग और एएसआई के साथ मिलकर इसका प्रस्ताव देने वाला एक डोजियर तैयार कर रहे थे.
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