प्रदूषण की जकड़: सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव को लगाई फटकार, जानें पूरा अपडेट

अधिकारियों पर सीधे कार्रवाई क्यों नहीं की गई.

Update: 2024-10-23 09:23 GMT

नई दिल्ली:  दिल्ली-NCR में प्रदूषण संकट को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार को फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण के मामलों पर कम जुर्माना क्यों है, इस तरह आप लोगों को प्रोत्साहित कर रहे हैं. वहीं कोर्ट ने पराली जलाने के मुद्दे पर CAQM (Commission for Air Quality Management) पर भी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण को रोकने में नाकाम रहे अधिकारियों पर सीधे कार्रवाई क्यों नहीं की गई, इसके बजाय उन्हें सिर्फ नोटिस जारी करके जवाब मांगा गया?

सामने आया है कि, सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है कि वह पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA) के तहत नियम बनाए और ज़िम्मेदार अधिकारियों की नियुक्ति करे. अदालत ने कड़े शब्दों में कहा कि यह सिर्फ कानून के उल्लंघन का मामला नहीं है, बल्कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है.
कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं का जिक्र करते हुए बताया कि दोनों राज्यों में दंडात्मक कार्रवाई अधूरी है. पंजाब में 1098 आगजनी के मामलों में केवल 483 को मुआवजा मिला है, जबकि हरियाणा में 498 मामलों में सिर्फ 93 व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट है कि कानून का सख्ती पालन नहीं किया जा रहा है और ज़िम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
वहीं, सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि 10 दिनों के भीतर नियम बना लिए जाएंगे और पूरी व्यवस्था लागू की जाएगी. इसके बावजूद, कोर्ट ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि अब वक्त आ गया है कि हर नागरिक के स्वच्छ पर्यावरण में जीने के मौलिक अधिकार को सुरक्षित किया जाए. कोर्ट ने कहा, "यह सिर्फ कानून पालन की बात नहीं है, बल्कि यह सवाल है कि सरकारें नागरिकों के गरिमापूर्ण जीवन और स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार की सुरक्षा कैसे करेंगी." अदालत ने इस मुद्दे पर सरकार की निष्क्रियता की आलोचना करते हुए कहा कि कानूनों को लागू करने में देरी के कारण उन लोगों को सजा नहीं मिल रही है जो पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि जुर्माना बढ़ाए जाने पर विचार कीजिए. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि पराली जलाने के मामले में अब तक 44 मुकदमे दर्ज किए गए हैं. कोर्ट ने कहा कि 3 साल बाद भी हमारे आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है. आपने जो 44 मुकदमे दर्ज किए है उनमें किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई? आप बताएं कि इस साल पराली जलाने की कुल कितनी घटनाएं हुई हैं?
सुप्रीम कोर्ट (पंजाब सरकार को फटकारते हुए) : 10 जून के CAQM पर आधारित आदेश के बावजूद राज्य ने नोडल और क्लस्टर अधिकारी नियुक्त नहीं किए. आपने अपने हलफनामे मे भी इसका जिक्र नहीं किया है. आप दिखाइए कि ग्राम नोडल अधिकारी और क्लस्टर अधिकारी की नियुक्ति कहां हुई है? अगर इन अधिकारियों की नियुक्ति हुई है तो ये बताइए कि इन अधिकारियों ने क्या किया है? आपके पिछले हलफनामे में इस बारे में कुछ नहीं लिखा था.
पीठ ने पूछा कि हमारे आदेश के बाद भी कमिटी का गठन दो सालों से क्यों नहीं किया? इसका क्या जवाब है आपके पास? आप पराली जलाने वालों पर भी मामूली जुर्माना लगा रहे है! आपने अब तक एक तिहाई लोगों से ही जुर्माना वसूला है? कोर्ट ने कहा कि आपने 1084 में से केवल 470 पराली जलाने के आरोपियों पर ही क्यों मामूली जुर्माना लगाया है? आपने इसी अपराध के आरोपी 600 लोगों से जुर्माना क्यों नहीं लिया? आपने 3 सालों से कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?
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