चंडीगढ़: डेरा सच्चा-सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को हरियाणा सरकार द्वारा दी गई फरलो को रद्द करने की मांग पर हाई कोर्ट ने खट्टर सरकार को नोटिस जारी किया है. अदालत ने पूछा है कि डेरा प्रमुख को किस आधार पर फरलो दी गई. साथ ही उसका रिकॉर्ड सोमवार को पेश करने के आदेश दिए हैं.
डेरा प्रमुख की फरलो को रद्द करने की मांग को लेकर पटियाला के भादसों के निवासी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि डेरा प्रमुख कई संगीन अपराध में दोषी करार दिया जा चुका है और उसके खिलाफ कुछ और आपराधिक मामले चल रहे हैं. ऐसे में पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक ऐसे अपराधी को फरलो देना पूरी तरह से गलत है.
याचिका में कहा गया है कि डेरा प्रमुख को राजनैतिक फायदा उठाए जाने के लिए ही फरलो दी गई है, क्योंकि डेरा प्रमुख इन चुनावों को प्रभावित कर सकता है, इसलिए डेरा प्रमुख की फरलो रद्द की जानी चाहिए.
7 फरवरी को जेल से बाहर आए थे राम रहीम
रेप के मामले में सजायाफ्ता डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल से फरलो पर 7 फरवरी को बाहर आए थे. गुरमीत राम रहीम को फरलो दिए जाने पर हरियाणा के जेल मंत्री रंजीत चौटाला ने कहा था कि प्रशासन तमाम इंतजाम पूरे करने के बाद ही उन्हें ले जाएगा. उन्होंने ये भी साफ किया कि ऑर्डर में जो लिखा है, उसी का पालन किया जाएहा. वे हरियाणा में कहीं भी जा सकते हैं.
रंजीत चौटाला ने कहा कि ये महज संयोग है. कोई कैदी जेल में तीन साल पूरे कर लेता है तो वो फरलो का पात्र हो जाता है. राम रहीम भी आम कैदी है और उसे नियम के तहत ही फरलो दी गई है. चुनाव की वजह से गुरमीत राम रहीम को फरलो नहीं दी गई है. यह मात्र संयोग है कि पंजाब में चुनाव और राम रहीम की सजा के तीन साल अभी पूरे हो रहे हैं.
फरलो एक तरह से सजायाफ्ता कैदियों के लिए छुट्टी की तरह ही होती है. फरलो के तहत एक निर्धारित अवधि के लिए कैदी को अपने घर जाने की अनुमति होती है.
बता दें कि गुरमीत राम रहीम को अगस्त 2017 में सीबीआई की विशेष अदालत ने साध्वी से रेप और हत्या के मामले में दोषी करार देते हुए 20 साल कैद की सजा सुनाई थी. गुरमीत राम रहीम को पूर्व डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के मामले में भी कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी.