मप्र में 50 फीसदी कमीशन पर फिर घिरी सरकार

Update: 2023-08-30 13:23 GMT

मध्य प्रदेश। विधानसभा चुनाव से पहले पचास फीसदी कमीशन का आरोप लगाते हुए कांग्रेस हमलावर है। बुधवार को एक ठेकेदार ने पचास फीसदी कमीशन मांगने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री आवास के करीब पत्नी के साथ धरना दिया। ठेकेदार के धरने पर फिर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने ट्वीट के साथ ठेकेदार और उसकी पत्नी का धरना वाला वीडियो साझा करते हुए लिखा, 50 फीसदी कमीशनखोर सरकार से सब परेशान हैं, अब ग्वालियर के रहने वाले संजय मिश्रा, जो खुद पीडब्ल्यूडी के ठेकेदार हैं, भुगतान न होने की वजह से मुख्यमंत्री निवास के बाहर परिजनों के साथ धरने पर बैठे हैं और जल्द से जल्द भुगतान करने की गुहार शिवराज सिंह चौहान से लगा रहे हैं।

इस धरने पर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने भी ट्वीट कर लिखा है, मध्य प्रदेश में चल रहा 50 प्रतिशत कमीशन राज अब सभी हदें पार कर गया है। ग्वालियर के एक ठेकेदार आज मुख्यमंत्री आवास के बाहर अपनी पत्नी सहित धरने पर बैठे हैं और उन्होंने आत्महत्या करने की चेतावनी तक दी है।

उनका सीधा कहना है कि 50 प्रतिशत कमीशन मांगे जाने के कारण वह पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं। बार-बार आग्रह करने के बावजूद न तो कोई अधिकारी और न ही मुख्यमंत्री उनकी बात सुन रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले ग्वालियर के ही एक ठेकेदार ने उच्च न्यायालय को पत्र लिखकर 50 प्रतिशत कमीशन का आरोप लगाया था। लेकिन उस व्यक्ति को न्याय दिलाने की जगह आवाज उठाने वालों के खिलाफ शिवराज सरकार सक्रिय हुई।

उसके बाद रीवा के एक ठेकेदार ने गौशाला निर्माण में 50 प्रतिशत कमीशन का आरोप लगाया। उस मामले पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। राज्य की स्थिति का जिक्र करते हुए कमलनाथ ने कहा, मैं देख रहा हूं कि शिवराज सरकार ने इसी तरह से व्यापम घोटाले में अपराधियों को संरक्षण दिया था और तब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई थी, जब तक करीब 50 निर्दोष लोगों की संदिग्ध मृत्यु नहीं हो गई और सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप नहीं किया।

मध्य प्रदेश का 50 प्रतिशत कमीशन राज अब सिर्फ भ्रष्टाचार और घोटाला नहीं बचा है, यह मध्य प्रदेश के ईमानदार ठेकेदारों और अधिकारियों के लिए जानलेवा संकट बनता जा रहा है। जो मुख्यमंत्री अपने दरवाजे पर आए हुए व्यक्ति की फरियाद नहीं सुन सकता उससे हम न्याय की क्या उम्मीद रखें?

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