पणजी। गोवा पुलिस ने राज्य में एकमात्र चीनी कारखाने के संचालन को फिर से शुरू करने के आश्वासन की मांग को लेकर दक्षिणी गोवा के धारबंदोरा में राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध करने के आरोप में लगभग 200 गन्ना किसानों को हिरासत में लिया।
उत्पादन संगठन (गन्ना उत्पादक संघ) के अध्यक्ष राजेंद्र देसाई ने आईएएनएस को बताया कि 200 किसानों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। “हम यह जानने की मांग कर रहे थे कि क्या सरकार इथेनॉल संयंत्र के साथ-साथ चीनी कारखाने को फिर से शुरू करने का इरादा रखती है। लेकिन हमें सरकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।'' 2020 में भाजपा सरकार ने चीनी कारखाने के संचालन को बंद करने की घोषणा की थी और तब से स्थानीय किसान अपनी उपज पड़ोसी राज्यों को बेच रहे थे।
संजीवनी सहकारी साखर कारखाना की स्थापना 1972 में गोवा के पहले मुख्यमंत्री दयानंद बंदोदकर द्वारा दक्षिण गोवा के धारबंदोरा में की गई थी। शुरुआती चरण में इसका ट्रैक रिकॉर्ड बहुत अच्छा था और कई किसान इस फसल का उत्पादन करने में लगे हुए थे। चीनी फैक्ट्री पिछले एक दशक या उससे अधिक समय में घाटे में चली गई और तीन साल पहले इसका संचालन यह कहते हुए बंद कर दिया गया कि यह संचालन के लिए व्यवहार्य नहीं है। तब कहा गया था कि परिचालन बंद होने के बाद नया प्लांट लगाया जाएगा, जो बाय-प्रोडक्ट भी देगा। हालांकि, यह अभी तक हकीकत में नहीं बदला है।
घाटे में चल रही फैक्ट्री को लाभ में लाने के लिए दिवंगत मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने 2017 में गन्ने से उप-उत्पाद बनाने की आवश्यकता की वकालत की थी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 2017 में विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान कृषि उत्पादों से ईंधन उत्पन्न करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि चावल के भूसे, गेहूं के भूसे, कपास के भूसे और इस्तेमाल किए गए गन्ने के कचरे से वैकल्पिक ईंधन उत्पन्न किया जा सकता है। इससे गन्ना किसानों को उम्मीद जगी थी कि कारखाने का विकास होगा और उन्हें अपनी उपज बेचने के अच्छे अवसर मिलेंगे। सोमवार को आंदोलनकारी किसानों ने सवाल किया कि क्या इथेनॉल प्लांट हकीकत में बदल पाएगा? जब उन्हें अनुकूल उत्तर नहीं मिला, तो उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध करने का प्रयास किया।