संजय बोरकर
पणजी (आईएएनएस)| वर्ष 2014 और 2018 में गोवा में देखे गए बाघों के साथ महादेई वन्यजीव अभयारण्य में टाइगर रिजर्व के गठन की मांग बढ़ रही है, लेकिन स्थानीय लोगों के इस प्रस्ताव का विरोध करने की वजह से सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने 2014 में अखिल भारतीय बाघ अनुमान के बाद गोवा में टाइगर रिजर्व के गठन के लिए एक प्रस्ताव रखा था। एनटीसीए के रिकॉर्ड के अनुसार, 2014 में लगभग पांच बाघ देखे गए थे, जबकि 2018 में तीन बाघ देखे गए थे।
वर्ष 2020 में महादेई वन्यजीव अभयारण्य से सटे सत्तारी के गोलौली गांव में एक बाघिन व तीन शावकों के कथित रूप से मारे जाने की घटना के बाद सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच की थी।
इस घटना के तुरंत बाद, एक बाघ द्वारा एक गाय का शिकार किया गया जो उसके शरीर को घसीट कर ले गया। इलाके के स्थानीय लोगों ने बाघों की आवाजाही को लेकर आशंका जताई थी।
सरकार ने 2020 में कहा था कि गोवा के जंगलों में बाघों की आवाजाही में वृद्धि हुई है। म्महादेई वन्यजीव अभयारण्य से सटे सत्तारी में गोलौली गांव के पास एक बाघिन और तीन शावक मृत पाए गए। यह जहर देकर बदला लेने का एक संदिग्ध मामला है क्योंकि बाघों ने ग्रामीणों के कुछ मवेशियों को मार डाला था। पांच संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया, जिन्होंने जहर देकर बाघों को मारने की बात कबूल की।
गोवा में बाघों की आबादी गोवा और आसपास के राज्यों कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच प्रवास करती है। गोवा सरकार ने कहा था कि वह अपने जंगली जानवरों के साथ-साथ मानव-वन्यजीव संघर्ष से निपटने में लोगों की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
आगे कहा था कि राज्य में वन्यजीवों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए 745 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैले छह वन्यजीव अभयारण्य और एक राष्ट्रीय उद्यान हैं। वन्यजीव अभयारण्य में और इसके आसपास कई गांव हैं। इसलिए मानव-वन्यजीव संघर्ष एक सामान्य घटना है। हालांकि, वन विभाग संघर्षों को कम करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की योजना 'प्रोजेक्ट टाइगर' के समर्थन से बाघों की सुरक्षा के लिए कुछ उपाय किए थे और इसके लिए राज्य के बजट में धन भी आवंटित किया था।
हालांकि एनटीसीए ने गोवा में टाइगर रिजर्व के गठन के लिए एक प्रस्ताव रखा था और महादेई जल मार्ग परिवर्तन का विरोध करने वालों ने भी 'टाइगर रिजर्व' की मांग की थी, सरकार ने अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है।
सत्तारी के एक स्थानीय निवासी ने आईएएनएस को बताया कि हम 'टाइगर रिजर्व' के खिलाफ हैं क्योंकि यह हम पर प्रतिबंध लगाएगा। हमारे पास वन क्षेत्रों में काजू के बागान हैं और कई लोग इस पर निर्भर हैं।
उन्होंने कहा, दूसरी बात, कुछ वर्ग महादेई को डायवर्ट होने से बचाने के लिए 'टाइगर रिजर्व' की मांग कर रहे हैं, लेकिन वे हमारी आजीविका के बारे में नहीं सोच रहे हैं।
वन अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि वे पेट्रोलिंग और कैमरा ट्रैप के नियमित उपयोग से बाघों की आवाजाही पर नजर रख रहे हैं।
उन्होंने कहा, वन्यजीवों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए विभिन्न स्थानों पर कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं। हम सभी चीजें कर रहे हैं जिससे बाघों की रक्षा में मदद मिल सके।
सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने अखिल भारतीय बाघ अनुमान, 2014 के बाद गोवा राज्य में टाइगर रिजर्व के गठन के लिए एक प्रस्ताव रखा था।
सरकारी रिकॉर्ड में कहा गया है कि चूंकि गोवा के संरक्षित क्षेत्र कर्नाटक में काली टाइगर रिजर्व के साथ एक सन्निहित कॉरिडोर बनाते हैं, अक्टूबर, 2016 में आयोजित स्टेट बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ की बैठक में टाइगर रिजर्व के गठन के प्रस्ताव पर चर्चा की गई थी।
गोवा में विपक्षी दलों के अनुसार, टाइगर रिजर्व को अधिसूचित करने से महादेई वन्यजीव अभयारण्य से पानी के मोड़ को रोकने के लिए कर्नाटक के खिलाफ राज्य का मामला मजबूत होगा।