ग्लोबल प्रेस ने PM मोदी को बताया खलनायक, कहा- सरकार की गलती से वायरस ने मचाया हाहाकार
पीएम नरेंद्र मोदी अपनी इमेज को लेकर खासे सतर्क रहते हैं,
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: पीएम नरेंद्र मोदी अपनी इमेज को लेकर खासे सतर्क रहते हैं, लेकिन कोरोना वायरस की दूसरी सुनामी ने उनकी छवि को तार-तार करके रख दिया है। फॉरेन प्रेस ने उन्हें ऐसे नायक की संज्ञा दी है जो अपनी गलत नीतियों की वजह से खलनायक में तब्दील हो चुका है। दुनिया के लीडिंग अखबारों का कहना है कि मोदी ने लोगों को भरोसा दिलाया था कि कोरोना को वह परास्त कर चुके हैं, पर वो गलत था।
फॉरेन प्रेस के मुताबिक कोरोना की पहली लहर में सबसे कड़ा नेशन वाइ़ड लॉकडाउन लगाकर मोदी ने वायरस को काफी हद तक रोक दिया था। अलबत्ता दूसरी लहर ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा। हालात ये हैं कि अस्पतालों में ऑक्सीजन नहीं है तो मरीजों की लाशें मुर्दाघरों में यहां वहां पड़ी हैं। The Guardian ने अपनी मेन स्टोरी में जो फोटो लगाया है उसमें शमशान में जल रही चिता की ऊंची लपटों को दिखाया गया है। इसकी हेडिंग है-"The system has collapsed: India's descent into Covid hell,"।
The Times, London ने भी मोदी पर जोरदार हमला किया है। अखबार की हेडलाइन है- दूसरी सुनामी में फंसे मोदी। अखबार ने भारत सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए लिखा- रोजाना तीन लाख से ज्यादा कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं। सरकार ने हालात की गंभीरता को नजरंदाज किया। जिसके चलते इतनी बड़ी समस्या खड़ी हुई। ये वाकई बेहद गंभीर हालात हैं।
ग्लोबल प्रेस के निशाने पर इससे ब्राजील होता था, लेकिन अब पत्रकारों की कलम मोदी सरकार की बखिया उधेड़ रही है। अखबारों का कहना है कि सरकार की नासमझी की वजह से ये संकट पैदा हुई। हिंदू नाराज न हो इसके लिए कुंभ जैसे मेले का आयोजन किया गया तो बंगाल चुनाव में मोदी ताबड़तोड़ रैली करते रहे। इससे हालात काबू से बाहर गए। अखबारों ने अपने मेन पेज पर कुंभ मेले से जुड़े फोटो भी प्रकाशित किए हैं, जिनमें लोग बगैर मास्क के हैं।
The Times लिखता है- दूसरी लहर की रफ्तार ने सरकार को भोथरा साबित कर दिया है। 2020 की गलतियों से कोई सबक नहीं लिया और नई गलतियों का पुलिंदा खोल दिया। आज भारत के लोग बेहद गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। देश औंधे मुंह गिर चुका है। अखबार ने बंगाल रैली को लेकर मोदी पर निशाना साधा। रैलियों में मास्क के बगैर लोग थे, लेकिन पीएम कह रहे थे- मैने अपने जीवन में इतनी भीड़ नहीं देखी, जहां तक नजर है वहां तक लोग हैं।
The Financial Times को तीखे तेवरों के लिए नहीं जाना जाता, लेकिन उसने भी मोदी सरकार के परखच्चे उड़ाने में कसर नहीं छोड़ी। The Washington ने अपनी स्टोरी में यूपी के कब्रिस्तानों का हवाई चित्र दिखाया है। अखबार लिखता है कि ये लहर नहीं बल्कि एक दीवार है। 24-7 लाशों का संस्कार हो रहा है पर इसके बाद भी शमशानों में जगह नहीं बची है। स्टोरी में सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए लिखा- सरकार ने वैक्सीनेशन बहुत धीरे किया और प्रतिबंध पूरी तरह से हटा दिए। इससे हालात बिगड़े।
भारत का खतरनाक वायरस सीमा पार करके तबाही मचा सकता है। इसकी रिपोर्ट कहती है कि सरकार की नाकामी से हालात बिगड़े। दिल्ली ने अपनी पीठ थपथपा कर वायरस को मात देने की बात कही। ये सरासर गलत रवैया था। The New York Times ने भी मोदी को खलनायक बताया। नासिक की घटना का जिक्र कर अखबार ने लिखा- मीडिया ने पहली लहर में मोदी का महिमामंडन किया। अब वैश्विक स्तर पर बन चुकी धारणा को गलत साबित करने के लिए पीआर एजेंसीज को खासी मेहनत करनी होगी।