जीडीए की बोर्ड बैठक बेनतीजा
गाजियाबाद और लोनी के मास्टर प्लान 2031 को नहीं मिली मंजूरी.
गाजियाबाद: गाजियाबाद के मास्टर प्लान को लेकर जीडीए में शुक्रवार को बोर्ड बैठक हुई थी, जो तकरीबन 4:30 घंटे तक चली। लेकिन इस बैठक में गाजियाबाद के मास्टर प्लान पर मुहर नहीं लग सकी। पिछले बार की बोर्ड बैठक में भी मास्टर प्लान पर मुुुहर नहीं लगी थी। इसके चलते अब अफसरों को कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि मोदीनगर के मास्टर प्लान को मंजूरी मिल गई है। इसमें गाजियाबाद के मास्टर प्लान समेत वेव सिटी सनसिटी की संशोधित डीपीआर और मेरठ रोड स्थित एक पेट्रोल पंप का प्रस्ताव रखा गया था।
शुक्रवार शाम को मेरठ मंडल आयुक्त सेल्वा कुमारी जे की अध्यक्षता में मेरठ मंडल आयुक्त कार्यालय के सभागार में जीडीए बोर्ड बैठक की बैठक हुई, जो देर रात 10:30 बजे तक चली। इसमें गाजियाबाद के मास्टर प्लान समेत वेव सिटी सनसिटी की संशोधित डीपीआर और मेरठ रोड स्थित एक पेट्रोल पंप का प्रस्ताव रखा गया था। करीब 4:30 घंटे चले मंथन के बाद बोर्ड ने मोदीनगर के मास्टर प्लान को अनुमति दे दी। गाजियाबाद और लोनी में नॉन कंफर्मिंग जोन को लेकर असमंजस की स्थिति रही। प्राधिकरण के कोष में वृद्धि को नॉन कंफर्मिंग जोन समेत अन्य भू-उपयोग निर्धारित करने के बोर्ड बैठक में निर्देश दिए गए।
जीडीए सचिव राजेश कुमार सिंह ने बताया कि गाजियाबाद व लोनी के मास्टर प्लान को लेकर आपत्ति व सुझाव के लिए एक हफ्ते का समय दिया जाएगा। रैपिडएक्स के दुहाई डिपो को स्टेशन के रूप में नोटिफाई किए जाने के चलते अब दुहाई डिपो के टॉड क्षेत्र के लिए भी आपत्ति व सुझाव मांगे जाएंगे। इसके बाद आपत्ति और सुझाव पर सुनवाई के बाद समिति निर्णय लेगी और रिपोर्ट उच्च अधिकारी को सौंपेगी। इस बोर्ड बैठक में मोदीनगर के मास्टर प्लान को हरी झंडी मिलने से लाजिस्टिक पार्क व ट्रक और बस टर्मिनल बनने का रास्ता साफ हो गया है।
पिछली बोर्ड बैठक में भी गाजियाबाद के मास्टर प्लान को आपत्ति लगाकर बोर्ड ने खारिज कर दिया था। इसके बाद लखनऊ तक जीडीए के अफसरों की किरकिरी हुई थी। इसे लेकर जीडीए अफसरों ने पिछले दिनों कई बैठकें की थीं और बार-बार दावा किया था कि इस बार जो मास्टर प्लान बनाया जाएगा। उसमें किसी तरह की आपत्ति न आए इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा, लेकिन अफसरों की इन सभी मैराथन बैठकों का नतीजा शून्य निकला और वह नान कन्फर्मिंग जोन को लेकर उठ रहे सवालों का तोड़ नहीं ढूंढ पाए। इससे जीडीए अफसरों की कार्यप्रणाली पर भी अब सवाल उठने लगे हैं।