न्यूड कॉल्स से लेकर यूपीआई फ्रॉड तक, साइबर क्राइम में बढ़ोतरी

जानें पूरा मामला।

Update: 2022-12-11 12:21 GMT
भुवनेश्वर (आईएएनएस)| ओडिशा के करीब 6,000 गांवों में भले ही मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है, लेकिन राज्य में हर साल साइबर अपराध बढ़ते जा रहे हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2019 में 1,475 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए, जो 2020 में बढ़कर 1,931 और पिछले साल 2,037 हो गए।
इसी तरह, पिछले तीन वर्षों के दौरान धोखाधड़ी की राशि में भी वृद्धि हुई है। साइबर अपराधियों ने 2019 में ओडिशा में लोगों से 16.18 करोड़ रुपये की ठगी की। यह 2020 में बढ़कर 35.07 करोड़ रुपये और 2021 में 40.39 करोड़ रुपये हो गई।
इसका मतलब है कि साइबर बदमाशों द्वारा चोरी की गई राशि में केवल तीन वर्षों के दौरान लगभग 150 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
पिछले तीन सालों में ओडिशा में साइबर पीड़ितों से कुल 5,443 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए और 91.65 करोड़ रुपये की ठगी की गई।
वहीं, ओडिशा पुलिस 91.65 करोड़ रुपये की ठगी गई राशि के मुकाबले केवल 1.37 करोड़ रुपये वसूल करने में कामयाब हो पाई है।
हाल के वर्षों में राज्य में अक्सर साइबर अपराध होते रहे हैं। पिछले दो वर्षों में राज्य की राजधानी भुवनेश्वर में इस तरह की धोखाधड़ी में भी वृद्धि हुई है। 2020 में 108 की तुलना में 2021 में भुवनेश्वर शहरी पुलिस जिले से लगभग 146 साइबर अपराध दर्ज किए गए।
अधिकतम मामलों में, अज्ञात साइबर बदमाशों ने पीड़ितों को अलग-अलग ऑफर्स में हाई रिटर्न का झांसा देकर, न्यूड वीडियो कॉल, ऑनलाइन ट्रेडिंग, मोबाइल टावरों की स्थापना और यूपीआई लेनदेन के माध्यम से करोड़ों रुपए लूटे हैं।
कुछ मामलों में, साइबर अपराधियों द्वारा उनके फोन पर भेजे गए लिंक पर क्लिक करने के बाद पीड़ितों के बैंक अकाउंट से हजारों-लाखों रुपए कट गए।
इस साल मार्च में, साइबर पुलिस में एक मामला दर्ज किया गया था कि स्कैमर्स ने कथित रूप से क्योंझर के एक व्यवसायी को उसके द्वारा खरीदी गई जीवन बीमा पॉलिसी के लिए उच्च रिटर्न का झांसा देकर 2.35 करोड़ रुपये ठग लिए।
एक अन्य मामले में, राजस्थान के एक साइबर गिरोह द्वारा ब्लैकमेल किए जाने के बाद, सुबरनपुर जिले के एक बैंक प्रबंधक ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली।
गिरोह के सदस्यों में से एक ने बैंक अधिकारी को एक न्यूड वीडियो कॉल किया और बाद में उसे एक अश्लील मामले में फंसाने की धमकी दी। गिरोह ने बैंक अधिकारी से 26 लाख रुपये की उगाही की। मांगों को पूरा करने में असमर्थ अधिकारी ने नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली।
एक साइबर विशेषज्ञ ने कहा कि साइबर धोखाधड़ी में पैसे कटने से लेकर एक घंटे तक को गोल्डन ऑवर माना जाता है, इस दौरान पीड़ित को खोए हुए पैसे वापस पाने के लिए अधिकारियों को सूचित करना होता है।
बढ़ते साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस अधीक्षक कार्यालय में साइबर क्राइम सेल खोला गया है जबकि 14 स्थानों पर साइबर थाने खोले गए हैं।
गृह राज्य मंत्री तुषारकांति बेहरा ने ओडिशा विधानसभा में एक हालिया जवाब में कहा कि साइबर अपराध की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
22 नवंबर, 2017 से भुवनेश्वर में एक साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला काम कर रही है। लोग राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोटिर्ंग पोर्टल साइबरक्राइम डॉट जीओवी डॉट इन के माध्यम से ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में आपत्तिजनक वायरल तस्वीर वीडियो की जांच और डिजिटल उपकरणों की जब्ती पर एसपी को मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी गई है।
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