आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि फ्रिक्शनलेस क्रेडिट सुविधा के लिए डिजिटल पब्लिक टेक प्लेटफार्म विकसित किया जा रहा है।
यह काम आरबीआई की सब्सिडियरी कंपनी रिजर्व बैंक इनोवेशन हब कर रहा है, जिसकी मदद से लोन देने वाले को डिजिटल रूप से सभी जानकारी मुहैया करा दी जाएगी और लोन के लिए किसी प्रकार के संपर्क या दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी।
फ्रिक्शनलेस क्रेडिट प्रणाली से लोन लेने में आसानी
दास ने कहा कि फ्रिक्शनलेस क्रेडिट प्रणाली से लोन प्रक्रिया की क्षमता बढ़ेगी और क्रेडिट की लागत में कमी आने के साथ भुगतान काफी तेज होगा, जिससे अधिक लोगों को लोन दिया जा सकेगा।
दास ने कहा कि फ्रिक्शनलेस क्रेडिट सुविधा के लिए एक ऐसे डिजिटल प्लेटफार्म को विकसित किया जा रहा है जिसके एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) से वित्तीय सेक्टर की सभी संस्थाएं प्लग एंड प्ले मॉडल की तरह बिना किसी बाधा के जुड़ सकेंगी। अभी कई राज्यों में किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए और डेयरी उद्यमियों को फ्रिक्शनलेस तरीके से लोन देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं।
इन राज्यों को सूची में मिला स्थान
इन राज्यों में तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक व उत्तर प्रदेश शामिल हैं। पायलट के तौर पर किसान क्रेडिट कार्ड से किसानों को 1.60 लाख रुपए तक का लोन दिया जा रहा है। डिजिटल किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से वित्तीय संस्थान को बगैर कोई सर्वे किए किसानों की भूमि के रिकार्ड का पता लग जाता है और उसमें लगी फसल की भी जानकारी मिल जाती है।
इसके आधार पर किसानों को सिर्फ ई-केवाईसी व डिजिटल हस्ताक्षर के आधार पर उनके खाते में लोन दिए जा रहे हैं। वित्तीय संस्थान किसानों की जमीन के रिकॉर्ड डाटा को राज्य सरकार की मदद से हासिल कर रहे हैं। वैसे ही डिजिटल डेयरी लोन डेयरी कोपरेटिव से जुड़े डाटा की मदद से दिए जा रहे हैं, जिससे पता चल जाता है कि डेयरी उद्यमी रोज कितना दूध निकालता है।
जानकारों का मानना है कि इस सुविधा के पूरी तरह से बहाल होने से किसानों व एमएसएमई को लोन लेना काफी आसान हो जाएगा। सिर्फ दो-चार मिनट में डिजिटल क्रेडिट की पूरी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।