नई दिल्ली(आईएएनएस)। कोल इंडिया की सहायक कंपनी, एसईसीएल छात्रों को नीट की तैयारी में मदद करने के लिए कोचिंग प्रदान करेगी। एसईसीएल के सुश्रुत के तहत 12वीं कक्षा के छात्रों को निशुल्क आवासीय कोचिंग प्रदान की जाएगी। कोयला मंत्रालय का कहना है कि इस कदम से आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि वाले छात्रों को बहुत लाभ होगा, खासकर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कोयला बेल्ट क्षेत्रों के गांवों में रहने वाले छात्रों को, जो डॉक्टर बनने के इच्छुक हैं। लेकिन, चिकित्सकीय प्रवेश परीक्षा की कोचिंग का खर्च उठाने में समर्थ नहीं हैं।
प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए छात्रों का चयन नीट के समान पैटर्न पर आधारित प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से होगा। इस कार्यक्रम के तहत बिलासपुर स्थित निजी प्रशिक्षण संस्थान के साथ साझेदारी में कुल 35 छात्रों के बैच को प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाई जाएगी। यह कार्यक्रम नियमित राष्ट्रीय स्तर की टेस्ट सीरीज और मार्गदर्शन के साथ आवासीय होगा। इसमें आवास और भोजन व्यवस्था की सुविधाएं शामिल होंगी। विस्तृत नियम और शर्तों को जानने और इस कार्यक्रम के पंजीकरण के लिए छात्र एसईसीएल की वेबसाइट देखे सकते हैं।
ऑनलाइन पंजीकरण की अंतिम तिथि 6 सितंबर है। चयन परीक्षा 10 सितंबर को आयोजित की जाएगी। प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए आवेदन करने के पात्र होने के लिए छात्रों को 2023 में न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक है। केंद्रीय कोयला मंत्रालय का कहना है कि आवेदक मध्यप्रदेश या छत्तीसगढ़ का आवश्यक रूप से निवासी होना चाहिए और उनका निवास स्थान या उनका स्कूल कोरबा, रायगढ़, कोरिया, सरगुजा , सूरजपुर, बलरामपुर, मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, उमरिया, अन्नुपुर और शहडोल जिलों में एसईसीएल संस्थान के 25 किलोमीटर के दायरे में स्थित होना चाहिए।
इसके अलावा, आवेदक के माता-पिता या अभिभावकों की कुल आय 8,00,000 रुपये (आठ लाख रुपये प्रति वर्ष) से अधिक नहीं होनी चाहिए। प्रवेश परीक्षा की तैयारी के कार्यक्रम में प्रवेश से पहले, उपयुक्त सरकारी प्राधिकारी से आय प्रमाण पत्र या गरीबी रेखा से नीचे का (बीपीएल) कार्ड, अंत्योदय अन्न योजना कार्ड में पंजीकृत माता-पिता या आश्रित का आयकर रिटर्न जमा करना होगा। प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए निर्धारित कुल सीटों में कोयला मंत्रालय की नीति के अनुसार आरक्षण भी लागू किया जाएगा, जिसके तहत अनुसूचित जाति के लिए 14 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए 23 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 13 प्रतिशत सीटें आरक्षित होंगी।