चार प्राचार्यो ने मिलकर किया 28 लाख का फर्जीवाड़ा, जानिए क्या है मामला
केस दर्ज
रीवा। एक्सीलेंस, मार्तण्ड स्कूल क्रमांक एक के चार पूर्व प्राचार्यों ने 28 लाख का फर्जीवाड़ा किया। जांच में खुलासा होने के बाद सीईओ जिला पंचायत ने नोटिस जारी किया। महीनों गुजर गए लेकिन कार्रवाई नहंी हुई। शिक्षा विभाग के लिए यह बड़ी शर्मसार करने जैसी स्थिति है। एक तरफ जहां अनुदान और सामग्री घोटाले में एक के बाद एक एफआईआर हो रही हैं। वहीं दूसरी तरफ एक्सीलेंस में हुए फर्जीवाड़े पर पर्दा डाला जा रहा है। जिला पंचायत में फाइल दब कर रह गई है। ज्ञात हो कि रीवा मार्तण्ड स्कूल क्रमांक एक के आर्थिक गतिविधियों की कलेक्टर डॉ इलैया राजा टी ने जांच बैठाई थी। जिला कोषालय की टीम ने मामले की जांच की तो चार प्राचार्य फंस गए। चार प्राचार्यों पर करीब 28 लाख रुपए की रिकवरी निकाली गई थी।
वर्ष 2016 से अब तक जितने भी प्राचार्य थे सभी के हाथ फंसे हैें। चारों प्राचार्य को सीईओ को जांच के बाद जवाब देने के लिए सीईओ के सामने तलब किया गया था। 29 दिसंबर 2021 को सभी के बयान हुए। इसमें भी पूर्व प्राचार्य अपना पक्ष नहीं रख पाए। इसके बाद सीईओ ने चारों प्राचार्यों को बिल बाउचर सहित एक एक बिंदु के साथ जनवरी में नोटिस जारी किया था। कारण बताओ सूचना पत्र जारी कर 15 दिन में जवाब मांगा गया। 15 महीने बीत गए लेकिन मामले में कार्रवाई नहीं हुई। 28 लाख रुपए शासन के डकार लिए गए हैं। तत्कालीन प्राचार्य ने तो हदें पार कर दी थीं। सीमेंट की खरीदी पर अलग से जीएसटी का भुगतान कर दिया था। इसके बाद भी इन पर आरोप अब तक तय नहीं हुए।
सीमेंट खरीदी और भुगतान पर फंसे गए थे प्रभारी डीईओ
मुख्य कार्यपालन अभियंता जिला पंचायत रीवा ने पूर्व प्राचार्य एक्सीलेंस और वर्तमान डीईओ पर दो बिंदुओं पर आपत्ति जताई गई थी। 330 रुपए की सीमेंट बोरी का 422 रुपए की दर से क्रय किए जाने पर जवाब मांगा गया था। इसके अलावा दूसरी आपत्ति भवन निर्माण मजदूरी बिल के भुगतान में किया गया था। भुगतान का कार्य नाम लिखकर सीधे राशि दर्शाते हुए किया गया। व्हाउचर क्रमांक 33 दिनांक 4 दिसंबर2020 में उल्लेख है इसमें कार्यों के विवरण में कार्य का नाम अंकित है। देयक में कार्य की यूनिट एवं दरें दर्ज नहीं थी। 3 लाख 86 हजार 164 रुपए के देयक में कार्य की मात्रा, भुगतान की दरें स्पष्ट नहीं था। भुगतान वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में था।
एसपी सोनी पर 9 लाख 87 हजार 942 रुपए की अनियमितता के लगे थे आरोप
तत्कालीन प्राचार्य एसपी सोनी को 8 बिंदुओं पर आपत्ति थी। इन्हें भी नोटिस जारी किया गया था। 1 मार्च 2019 से 10 मार्च 201 तक 10 दिन के मजदूरी राशि का भुगतान संतोष कुशवाहा को 2500 रुपए किया जाना कैशबुक में अंकित था। मास्टर रोल में मजदूरी की उपस्थिति अंकित नहीं की गई थी। भुगतान पत्रक में पास आर्डर अंकित नहीं था। नेशनल स्टेशनरी मार्ट से 18 पैकेट ए 4 साइज के पेपर 295 रुपए प्रति पैकेट के हिसाब से 5310 रुपए एवं जीएसटी 638 कुल 5948 रुपए का भुगतान किया गया। इसमें क्रय नियमों का पालन नहीं किया गया था। सामग्री स्टाक में भी यह दर्ज नहीं मिला। आजाद ट्रेडर्स के द्वारा वाटर कूलर सप्लाई बोर्ड आदि की सामग्री क्रय से संंबंधित द्वारा स्पष्ट नहीं किया गया। फर्म को किए गए भुगतान से 2 फीसदी टीडीएस नहीं काटा गया था। कुल 9 लाख 87 हजार 942 रुपए की अनियमितता सामने आई थी।
प्राचार्य रहे व्हीपी खरे ने 3 लाख से अधिक की अनियमितता
तत्कालीन प्राचार्य व्हीपी खरे ने सामग्री क्रय में भंडार क्रय एवं सेवा उपार्जन के प्रावधानों के अनुसार नहीं किया। सामग्रियों की गुणवत्ता परीक्षण स्टॉक स्टोर पंजी का संधारण नहीं किया था। विद्यालय में लिपिक होने के बाद भी स्वयं अनियमितता पूर्वक कैशबुक लिखते रहे। एसएमडीसी की मद की राशि व्यय किए जाने के लिए वित्त समिति को विधिवत प्रस्ताव प्राप्त किया जाना आवश्यक था लेकिन कई बिना स्वीकृति के किए गए। निर्माण संबंाी कार्यों का मूल्यांकन बिना कराए ही भुगतान किया गया, जबकि गुणवत्ता परीक्षण एवं कार्य पूर्णता टीप कार्य मूल्यांकन समिति से कराया जाना आवश्यक था। इन पर करीब 3 लाख 6 हजार 616 रुपए के अनियमितता के आरोप लगे थे।
तत्कालीन प्राचार्य आरएन पिडिय़ा पर भारी भरकम अनियमितता के आरोप लगे थे
तत्कालीन प्राचार्य आर एन पिडिय़ा का कार्यकाल ज्यादा लंबा रहा। इनके कार्यकाल में ज्यादा अनियमितता सामने आई है। नोटिस में कहा गया था कि विद्युत सामग्री क्रय में 2 लाख 46 हजार 690 रुपए की अनियमितता की गई है। सामग्रियों से संबंधित स्टॉक पंजी एवं वितरण पंजी में विवरण अंकित नहीं किया गया। विद्युत सामग्रियों पर लगातार व्यय किया गया। निर्माण सामग्री क्रय में 2 लाख 96 हजार 821 रुपए की अनियमितता की गई। कार्या का पीडब्लूडी अथवा अन्य सक्षम संस्था से मूल्यांकन कराने के बाद ही भुगतान किया जाना था। अथवा एसएमडीसी स्कूल प्रबंधन विकास समिति में वर्णित निर्माण समिति से गुणवत्ता का परीक्षण कराना था लेकिन दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए। सामग्री क्रय में 5 लाख 55 हजार 957 रुपए के वित्तीय अनियिमतता का नोटिस जारी किया गया है। इन पर करीब 10 लाख 99 हजार 463 रुपए के अनियमितता का आरोप लगा और नोटिस जारी हुई थी।