डायनासोर के 256 अंडों के जीवाश्म मिले, नर्मदा क्षेत्र में चल रही रिसर्च

हुए कई खुलासे

Update: 2023-01-21 16:42 GMT
धार। वैज्ञानिकों ने मध्य प्रदेश के धार जिले में डायनासोर के 256 जीवाश्म अंडों और घोंसलों का पता लगाया है। ये जीवाश्म अंडे बड़े डायनासोरों में से एक शाकाहारी टाइटनोसॉर के हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय और मोहनपुर-कोलकाता व भोपाल में भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान के शोधकर्ताओं ने भी मध्य प्रदेश के धार में बाग और कुक्षी क्षेत्रों में ओवम-इन-ओवो या मल्टी-शेल अंडे की खोज की सूचना दी है। शोधकर्ताओं को टाइटनोसॉर से संबंधित 256 जीवाश्म अंडों के कई घोंसलों का पता चला है। हर्ष धीमान, विशाल वर्मा, और गुंटुपल्ली प्रसाद सहित अन्य की रिसर्च को इस सप्ताह पीएलओएस वन शोध पत्रिका में प्रकाशित किया गया था। घोंसलों और अंडों के एक अध्ययन से लंबी गर्दन वाले डायनासोर के जीवन के बारे में कई जानकारी सामने आई है जो 66 मिलियन वर्ष से भी पहले इस नर्मदा घाटी क्षेत्र में घूमा करते थे। धार जिले के उच्च माध्यमिक विद्यालय, बाकानेर में कार्यरत विशाल वर्मा ने पीटीआई को बताया कि अंडे उस मुहाने से पाए गए थे।
जहां टेथिस सागर का नर्मदा में विलय हुआ था, जब सेशेल्स भारतीय प्लेट से अलग हो गया था। सेशेल्स के अलग होने के कारण नर्मदा घाटी में 400 किलोमीटर अंदर टेथिस सागर घुस आया था. उन्होंने कहा कि नर्मदा घाटी में पाए गए घोंसले एक-दूसरे के करीब थे। आम तौर पर घोंसले एक दूसरे से कुछ दूरी पर स्थित होते हैं। उन्होंने कहा कि मल्टी-शेल अंडे के पीछे का कारण अंडे देने के लिए अनुकूल परिस्थितियों को खोजने में मां की अक्षमता हो सकती है। ऐसी स्थिति में अंडे डिंबवाहिनी में रह जाते हैं और खोल का निर्माण फिर से शुरू हो जाता है। अंडे देने से पहले डायनासोर के मरने की भी घटनाएं हो सकती हैं। ये अंडे 15 सेंटीमीटर और 17 सेंटीमीटर डायमीटर के बीच के थे जो संभवतः कई टाइटनोसॉर प्रजातियों के थे। प्रत्येक घोंसले में अंडों की संख्या एक से लेकर 20 तक होती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि 2017 और 2020 के बीच क्षेत्र की जांच के दौरान, हमने मध्य प्रदेश के धार जिले में बाग और कुक्षी क्षेत्रों में डायनासोर की व्यापक हैचरी पाई, विशेष रूप से अखाड़ा, ढोलिया रायपुरिया, झाबा, जमनियापुरा और पदल्या गांवों में. इस रिसर्च को नर्मदा घाटी के लामेटा फॉर्मेशन में किया गया था।
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