पत्नी संग वापस कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह
नई दिल्ली: केंद्र की भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके चौधरी बीरेंद्र सिंह मंगलवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। उनके साथ उनकी पत्नी प्रेमलता ने भी कांग्रेस की सदस्यता ली। बीरेंद्र सिंह लंबे समय तक कांग्रेस में रहे हैं। लेकिन, करीब 10 वर्ष पूर्व वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए थे।
कांग्रेस का मानना है कि बीरेंद्र सिंह की घर वापसी हरियाणा में बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका है। वह पांच बार विधायक, राज्यसभा और लोकसभा सांसद रह चुके हैं। वह विख्यात समाजसेवी व राजनेता सर छोटू राम के नाती हैं। मंगलवार को कांग्रेस मुख्यालय में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और कुमारी शैलजा समेत अन्य नेताओं की मौजूदगी में उन्हें कांग्रेस में शामिल कराया गया।
इस मौके पर बीरेंद्र सिंह ने कहा कि मैं इसे घर वापसी से ज्यादा विचारधारा में वापसी का अवसर मानता हूं। उन्होंने बताया कि कांग्रेस छोड़ते समय उन्होंने सोनिया गांधी से मिलकर विदाई ली थी। 43 साल तक कांग्रेस के साथ रहने के बाद साल 2014 में वह बीजेपी में आए थे। हरियाणा के कद्दावर जाट नेता माने जाने वाले चौधरी बीरेंद्र सिंह रिश्ते में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के भाई हैं।
मंगलवार को कांग्रेस में शामिल होते समय उन्होंने बताया, "भूपेंद्र सिंह हुड्डा उनकी बुआ का छोरा हैं और रणदीप सिंह सुरजेवाला उनके मामा का छोरा है।" वहीं, भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी मंच से बीरेंद्र सिंह को अपना बड़ा भाई कहकर संबोधित किया। इससे पहले सोमवार को बीरेंद्र सिंह ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को अपना इस्तीफा भेजा था। उनके बेटे बृजेंद्र सिंह पहले ही कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं। बीरेंद्र सिंह की पत्नी एवं पूर्व विधायक प्रेमलता ने भी भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की है।
वहीं, इनके पुत्र बृजेंद्र सिंह ने 2019 में भाजपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीता था। बृजेंद्र सिंह मौजूदा समय में हिसार से सांसद हैं। 2019 में बृजेंद्र सिंह ने आईएएस की नौकरी छोड़कर सियासत में कदम रखा था। बीरेंद्र सिंह हरियाणा की उचाना सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं। वह 1977 से 82, 1982 से 84, 1991 से 1996, 1996 से 2000 तथा 2005 से 2009 तक विधायक रहे। वह कैबिनेट मंत्री भी बने। वह तीन बार सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे हैं।