अपनी जान बचाकर थाने पहुंचे पूर्व सांसद, उपद्रवियों ने अचानक गाड़ी पर किया हमला

जांच जारी

Update: 2022-01-31 02:01 GMT
झारखंड। बोकारो व धनबाद में भोजपुरी और मगही को क्षेत्रीय भाषा में शामिल करने के विरोध में हुए आंदोलन के दौरान कुछ उपद्रवियों ने रविवार को भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व कोडरमा सांसद रविंद्र राय को निशाना बनाया। योधाडीह मोड़ होकर धनबाद जाने के क्रम में तेलमच्चो ब्रीज के पास उनके वाहन पर अचानक आंदोलन कर रहे कुछ लोगों ने हमला बोल दिया। भारी संख्या में लोगों ने उनके वाहन पर पत्थरबाजी कर दी। जिससे उनके वाहन का सभी शीशा टूट गया। हालांकि घटना में ड्राइवर की सुझबुझ और तत्परता से उन्हें और उनके अंगरक्षक को चोट नहीं आई। 
घटना के बाद उनकी ओर से चास मुफ्फशील थाना में उपद्रव करनेवालों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया। जिसके बाद पुलिस एक्टिव हुई। इस संबंध में शाम को बोकारो परिसदन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए राय ने झारखंड सरकार को आड़े हाथो लेते हुए कहा कि हेमंत सरकार के कार्यकाल में राज्य पूरी तरह से अराजक स्थिति में पहुंच गया है। राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है। उदंड और उपद्रवियों के समक्ष पुलिस अपने को लाचार महशूस कर रही है। ऐसे में सरकार और पुलिस प्रशासन ऐसे लोगों को चिन्हित कर सजा दिलाए अन्यथा स्थिति बेहतर नहीं हो सकती।

रविंद्र राय ने कहा भाजपा किसान मोर्चा की बैठक में शामिल होने के लिए वे जैनामोड़ होते हुए चास से धनबाद के राजगंज जा रहे थे। इसी क्रम में योधाडीह पहुंचते ही कई लोग मुख्य सड़क पर हरवे हथियार के साथ दिखे। जिसके बाद तेलमच्चों पहुंचा तो करीब 400 की संख्या में मौजूद लोगों ने भाषाई आंदोलन में मेरा समर्थन मांगा और वाहन से उतरने की अपील की। लेकिन जैसे ही मैंने उनका निवेदन स्वीकार किया, कुछ उपद्रवियों ने भाजपा के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अभद्र व्यवहार शुरू कर दिया। जिसके बाद मैं स्वयं अपने अंगरक्षकों के साथ वाहन में बैठ गया। तभी कुछ लोगों ने मेरे वाहन के सभी शीशे पत्थर से तोड़ डाले। लेकिन ड्राइवर ने उक्त भीड़ से वाहन को वाहर निकल लिया। जिसके बाद मैंने चास मुफ्फसील थाने को स्थिति की जानकारी दी। इस आंदोलन में उक्त स्थल पर अधिकांश लोग नशे में थे। जो सभी आंदोलन की आड़ में आमलोगों को पत्थर से निशाना बना रहे थे। इस प्रकार की स्थिति मैंने पहले कभी नहीं देखी। आंदोलन को लेकर राज्य में किसी को भी इसकी जानकारी नहीं थी।


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