एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी इसके लिए प्रशासन से बात नहीं हुई है। परंतु अगर प्रशासन चाहेगा तो हम लिख के देने को तैयार हैं। हमने अपने बुजुर्गों से सुना था कि 1700 ईसवी के आसपास ये बावड़ी बनी थी। 1898 के करीब हमारे दादा के दादा राजा कृष्ण कुमार सिंह ने इसी स्थान पर एक निवास बनाया था। जिसके प्रांगण में ये बावड़ी आती है। राजा कृष्ण कुमार सिंह का जन्म 1848 में हुआ और उनकी मृत्यु 1915 में हुई थी। उसका नाम था कृष्ण निवास। वो आज तक शायद खड़ा हुआ है, लेकिन किसके कब्जे है, हमें यह मालूम नहीं है। प्रशासन आपसे दस्तावेज की मांग करते है तो उन्हें मुहैया कराएंगे। इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि दस्तावेज प्रशासन के पास होंगे। सब पुराने दस्तावेज़ तो प्रशासन के पास हैं। हम चाहते हैं कि वहां आम जनता के लिए पर्यटन का एक आकर्षक स्थान बने। चंदौसी और आसपास कोई ऐसी बावड़ी नहीं है। अच्छा रहेगा, वहां के लिए एक ऐसी प्राचीन चीज़ सुरक्षित रहे, और वहां की जनता के काम में आए।
बता दें कि संभल के करीब चंदौसी में मिली 150 साल पुरानी ऐतिहासिक बावड़ी की खुदाई का काम जारी है। दूसरी बार एएसआई की टीम सर्वे के लिए यहां पहुंची। पहली मंजिल तक खुदाई हो चुकी है। बड़ी तादाद में मजदूरों को लगाया गया है।