कोयला घोटाला मामले में पूर्व मंत्री दिलीप रे को बड़ी राहत, 3 साल जेल की सजा हुई निलंबित

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1999 में झारखंड में कोयला ब्लॉक के आवंटन में अनियमितताओं को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे की तीन वर्ष जेल की सजा मंगलवार को निलंबित कर दी।

Update: 2020-10-27 16:43 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1999 में झारखंड में कोयला ब्लॉक के आवंटन में अनियमितताओं को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे की तीन वर्ष जेल की सजा मंगलवार को निलंबित कर दी। इस मामले से जुड़े एक वकील के मुताबिक, न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने सीबीआई को नोटिस जारी किया और रे की याचिका पर एजेंसी से जवाब मांगा। रे ने याचिका दायर कर मामले में खुद को दोषी ठहराने एवं सजा दिए जाने को चुनौती दी है।

वकील ने कहा कि छुट्टी के दौरान मामले पर सुनवाई करने वाले उच्च न्यायालय ने अपील को स्वीकार किया और अगली सुनवाई की तारीख 25 नवंबर तय की। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कोयला राज्यमंत्री रहे 68 वर्षीय रे को निचली अदालत ने सोमवार को तीन वर्ष कैद की सजा सुनाई और उन पर दस लाख रुपये का जुर्माना भी किया था।

रे के अलावा निचली अदालत ने उस समय मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारी रहे प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्यानंद गौतम को भी तीन-तीन वर्ष कैद की सजा सुनाई। दोनों की उम्र करीब 80 वर्ष है। इसने कैस्ट्रन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (सीटीएल) के निदेशक महेंद्र कुमार अग्रवाल (75) को भी इतने ही वर्ष जेल की सजा दी।

बहरहाल, निचली अदालत ने दोषी व्यक्तियों को एक महीने की जमानत दी ताकि वे फैसले को ऊपरी अदालतों में चुनौती दे सकें। इसने बनर्जी और गौतम पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया जबकि अग्रवाल को 60 लाख रुपये जुर्माना भरने के लिए कहा गया।

इसने सीटीएल और कैस्ट्रन खनन लिमिटेड (सीएमएल) पर क्रमश: 60 लाख रुपये और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। दोनों कंपनियों को मामले में दोषी ठहराया गया था। निचली अदालत में सीबीआई की तरफ से पेश हुए लोक अभियोजक वी के शर्मा और ए पी सिंह ने दोषियों के लिए अधिकतम सजा की मांग की थी।मामला झारखंड के गिरिडीह में 1999 में ब्रह्मडीहा कोयला ब्लॉक के आवंटन से जुड़ा हुआ है।

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