करप्शन केस में फंसे पूर्व कमिश्नर! परमबीर सिंह पर FIR दर्ज, जानिए पूरा मामला
फाइल फोटो
मुंबई:- महाराष्ट्र पुलिस ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह के खिलाफ एफ.आई.आर.दर्ज की। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त और वर्तमान में होमगार्ड डीजी परमबीर सिंह सहित 33 के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस निरीक्षक भीमराव घाड़गे की शिकायत पर अकोला के शहर कोतवाली पुलिस में यह मामला दर्ज किया है।
गुरुवार को एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा विदर्भ के अकोला में एफआईआर दर्ज की गई है। एफआईआर में परमबीर सिंह और डीसीपी पराग मनेरे सहित 33 लोगों को आरोपी बनाया गया है। सभी के खिलाफ 27 धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता पुलिस निरीक्षक भीमराव घाडगे ने आरोप लगाया है कि ठाणे पुलिस आयुक्त रहते हुए परामबीर सिंह ने आरोपियों को बचाने के लिए उनपर दबाव बनाया था। नही मानने पर उन्हे प्रताड़ित किया गया और उनके खिलाफ ही झूठा मामला बना दिया गया।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह ने अपनी याचिका वापिस ले ली और कहा कि अब वह बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा आपको इस मामले में उच्च न्यायालय से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी गई है। परमबीर सिंह से सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि आपने अपनी याचिका में महाराष्ट्र के गृह मंत्री को पार्टी क्यों नहीं बनाया। महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर ने बेहद गंभीर आरोप लगाये हैं। परम बीर सिंह के वकील मुकुल रोहतगी से पूछा गया कि आप सीबीआइ जांच की मांग के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट से संपर्क क्यों नहीं कर रहे है।
बता दें कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ''निष्पक्ष एवं स्वतंत्र'' सीबीआइ जांच की मांग की थी। 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से उनके तबादले को 'मनमाना' और 'गैरकानूनी' होने का आरोप लगाया था और इसे रद करने का अनुरोध किया था।
आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह का आरोप था कि अनिल देशमुख ने अपने घर पर फरवरी 2021 में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की अनदेखी करते हुए अपराध खुफिया इकाई, सचिन वाझे और समाज सेवा शाखा, मुंबई के एसीपी संजय पाटिल सहित अन्य पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की थी तथा हर माह 100 करोड़ रुपए की वसूली करने का लक्ष्य दिया था। साथ ही, विभिन्न प्रतिष्ठानों एवं अन्य स्रोतों से भी उगाही करने का निर्देश दिया था।"