नई दिल्ली (आईएएनएस)| कोयला उत्पादक कंपनी 'एम-सैंड' का उत्पादन करेगी। कोयला मंत्रालय के मुताबिक मिनिरत्न 'नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड' (एनसीएल) कंपनी ने एक रेत मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित किया है। कंपनी की यह पर्यावरण-समर्थक पहल नदी के तल के कटाव का संरक्षण करने तथा जलीय पारिस्थितिकीय तंत्र के संरक्षण में सहायता करेगी। हाल ही में एनसीएल ने संचालन के लिए सहमति प्राप्त की है जो एम-सैंड के वाणिज्यिक उत्पादन और नीलामी का मार्ग प्रशस्त करती है। नीलामी अगले महीने प्रारंभ होने की संभावना है।
कोयला उत्पादक मिनिरत्न कंपनी नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) अपनी अमलोहरी परियोजना में सिविल निर्माण कार्यों में उपयोग की जाने वाली मुख्य सामग्री 'एम-सैंड' का उत्पादन प्रारंभ करने के लिए तैयार है।
कोयला मंत्रालय का कहना है कि यह अभूतपूर्व पहल कंपनी, सरकार और स्थानीय हितधारकों के लिए लाभकारी है। एनसीएल प्रतिवर्ष लगभग तीन लाख क्यूबिक मीटर एम-सैंड का उत्पादन करेगी और प्रतिदिन 1000 क्यूबिक मीटर रेत बनाने के लिए 1429 क्यूबिक मीटर ओवर बर्डन का उपयोग करेगी। उत्पादित 'एम-सैंड' की ई-नीलामी बाजार में वर्तमान में उपलब्ध रेत की तुलना में बहुत सस्ते आधार मूल्य और बेहतर या समान गुणवत्ता पर की जाएगी।
कोयला निकालने के लिए 410 मिलियन क्यूबिक मीटर ओवर बर्डन (ओबी) को हटाने की आवश्यकता है। कोयला सीम (परत) के ऊपर की सामग्री को ओवर बर्डन (ओबी) कहा जाता है। यह विशाल मात्रा निकाले जाने वाले कोयले की मात्रा का लगभग 4 गुना है। एनसीएल अपनी 10 खुली खदानों से प्रतिवर्ष 122 मिलियन टन कोयले का उत्पादन करती है। भारी मात्रा में ओवर बर्डन (ओबी) बड़ी जगह घेरती है और यह अपशिष्ट पदार्थ है।
इस संयंत्र के सफल रूप से प्रारंभ होने के बाद, कंपनी विभिन्न उत्पादन परियोजनाओं में एम-सैंड बनाने वाली इकाइयों के लिए इस तरह के और अधिक नवाचारी ओवर बर्डन स्थापित करने पर भी विचार कर रही है। एनसीएल की ऊपरी मिट्टी में सिलिका की अच्छी संरचना होने की पृष्ठभूमि में, सौर पैनल, ग्लास, जीआरपी पाइप तथा अन्य सामग्री बनाने की संभावना का भी पता लगा रही है।
एनसीएल कोल इंडिया लिमिटेड की प्रमुख सहायक कंपनियों में से एक है, जो अपनी 10 अत्यधिक मशीनीकृत खदानों और बिजली क्षेत्र की आवश्यकता को पूरा करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जानी जाती है। कंपनी मध्यप्रदेश के सिंगरौली और उतर प्रदेश के सोनभद्र जिले में स्थित है और इसे चालू वित्त वर्ष 2022-23 में 122 मिलियन टन कोयला उत्पादन और डिस्पैच लक्ष्य का काम सौंपा गया है।