घर-घर भेजी जाती हैं मुफ्त में मछलियां, जानें क्या है मछली उत्सव की परंपरा

इन दिनों मनाए जाने वाले एक अनोखे उत्सव की चर्चा दूर-दूर तक है.

Update: 2022-04-19 10:31 GMT

शेखपुरा: बिहार के शेखपुरा जिले में इन दिनों मनाए जाने वाले एक अनोखे उत्सव की चर्चा दूर-दूर तक है. इस परंपरागत 'मछली उत्सव' के दौरान गांव के हर घर में तमाम प्रजातियों की मछलियां मुफ्त में पहुंचाई जाती हैं. एक तरह से पूरे गांव के लोग कई दिनों तक मुफ्त में मिलने वाली मछली का भोज करते हैं. ग्रामीण इस परंपरा का वर्षों से निर्वहन करते आ रहे हैं.

इस परंपरा के मुताबिक, बरबीघा प्रखंड के सर्वा गांव में सारे बच्चे-बुजुर्ग और पुरुष-महिलाएं मिलकर आपसी सहयोग से बड़े आहर (खेती के लिए पानी का जमा करने वाला तालाब) को सुखाते हैं. आहर से पानी निकालने के बाद उसमें से मछली निकालते हैं और उन मछलियों को बराबर-बराबर भाग में गांव के सभी परिवारों के बीच बांटा जाता है. यदि किसी परिवार का सदस्य किसी काम से बाहर गया हो और वो शाम को लौटता है, तो उसके दरवाजे पर मछलियों की टोकरी रखी मिलती है. मात्रा के हिसाब से सभी घरों में बिल्कुल मुफ्त में मछलियां भेजी जाती हैं.
इस परंपरा के निर्वहन में तीन से चार दिन का समय लगता है. सर्वा गांव में तीन से चार दिन उत्सव का माहौल रहता है. जिसे लोग 'मछली उत्सव' कहते हैं. सभी ग्रामीण इस उत्सव में शामिल होते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि ये परंपरा पूर्वजों के समय से चलती आ रही है. करीब 350 बीधा में फैला यह आहर गांव के खेतों की सिंचाई का मुख्य स्रोत है. इस आहर के कारण यहां खेतों को पानी की कमी कभी महसूस नहीं होती.
ग्रामीणों के मुताबिक, इस बार आहर में पानी ज्यादा होने से अगल-बगल के तालाब की मछलियां भी इसमें आ गई थीं, जिसके कारण उन्हें अमेरिकन रेहू, जासर, पिकेट, मांगुर, सिंघी और गयरा, टेंगरा, पोठिया और डोरी का स्वाद मिला है. इस मछली उत्सव को लोग उत्साह से मनाते हैं. 
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