कांग्रेस विधायक और ड्राइवर के खिलाफ FIR दर्ज, लगा ये गंभीर आरोप

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Update: 2021-08-18 14:17 GMT

मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के वरला थाना क्षेत्र में डराधमका कर अवैध रूप से रेत का ट्रैक्टर वन विभाग के कब्जे से छुड़ा ले जाने के आरोप में सेंधवा के विधायक ग्यारसी लाल रावत के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया गया है। वरला थाना पुलिस के अनुसार वन परिक्षेत्र अधिकारी इंद्रेश अचाले की शिकायत पर बीती रात सेंधवा के कांग्रेस विधायक ग्यारसी लाल रावत और एक अन्य मुकेश डाबर के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के अलावा वन अधिनियम 268 के अंतर्गत प्रकरण दर्ज किया गया है।

शिकायत के मुताबिक वरला वन परिक्षेत्र में वन परिक्षेत्र अधिकारी इंद्रेश अचाले तथा बीट गार्ड बद्रीलाल बडोले कल कोलकी के प्लांटेशन का निरीक्षण करने जा रहे थे। इसी बीच आरक्षित वन कक्ष क्रमांक 538 के पास अवैध रूप से ट्रैक्टर ट्राली में रेत भरने का कार्य देखे जाने पर उसे जब्त किया गया। जब इस ट्रैक्टर ट्रॉली को सेंधवा के समीप गोई स्थित वन डिपो में परिवहन किया जा रहा था, तब मोहन पदावा के समीप मुकेश डाबर ने इसे रोका। इसी दौरान सेंधवा विधायक ग्यारसी लाल रावत वहां आए और उन्होंने गाली-गलौज की। विधायक और उनका वाहन चालक गाड़ी से लाठी निकालकर रेंजर और बीड कार्ड को मारने दौड़े, जिसके चलते दोनों ट्रैक्टर ट्रॉली छोड़कर वहां से चले गए।

इसके बाद विधायक के कहने मुकेश डाबर ट्रैक्टर ट्राली लेकर फरार होने लगा। इसी दौरान वनरक्षक द्वारा ट्रैक्टर रोकने की कोशिश की गयी, तो मुकेश डाबर ने उसे चलते ट्रैक्टर से पीटकर नीचे गिरा दिया गया, जिससे वह घायल हो गए। पूरी घटना के दौरान वन विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा रिकॉर्ड की गई ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें कथित तौर पर विधायक रेंजर से अपशब्दों का प्रयोग करते सुनाई दे रहे हैं।

दूसरी ओर विधायक ग्यारसी लाल रावत ने कहा कि यह रेत प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे मकान के निमार्ण के लिए ले जाई जा रही थी। उन्होंने कहा कि रेंजर अचाले ने उन्हें मारने के लिए पत्थर उठाया। रावत ने कहा कि वन विभाग को रेत का ट्रैक्टर रोकने का अधिकार नहीं था और उनके विरुद्ध गलत कार्रवाई की गई। विधायक ने कहा कि उन्होंने भी प्रकरण दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया है। बड़वानी के पुलिस अधीक्षक निमिष अग्रवाल ने बताया कि वन अधिकारियों ने घटना के दौरान की ऑडियो रिकॉर्डिंग पुलिस को सौंपी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विधायक की शिकायत की जांच में वन अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं मिला है, इसलिए प्रकरण नहीं दर्ज किया गया।

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